प्याज भंडारण के लिए छोटे गोदाम
जब किसानों की प्याज की फसल खेतों से निकलकर बाजार में आती है तब प्याज के दामों में गिरावट आ जाती है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है।
कई बार तो किसानों की फसलों की लागत भी नहीं निकल पाती है। ऐसे में किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार प्याज भंडारण के लिए छोटे गोदाम बनाने के लिए अनुदान दे रही है।
जिसका लाभ लेकर किसान प्याज भंडारण बनाकर उसे उचित मूल्य मिलने पर बेच सकते हैं।
इस संबंध में लोकसभा में प्याज भंडारण के लिए गोदाम बनाने के लिए किसानों को दी जाने वाली सहायता को लेकर सवाल किया गया।
जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा किसानों को प्याज भंडारगृह बनाने के लिए 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है।
प्याज भंडारण के लिए गोदाम पर कितना अनुदान मिलता है
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग देश में बागवानी के समग्र विकास के लिए “समेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH)” का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
इस स्कीम के तहत किसानों को 25 मीट्रिक टन क्षमता वाले कम लागत वाले प्याज भंडारण स्ट्रक्चर के लिए प्रति इकाई लागत 1.75 लाख रुपये पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता था।
लेकिन महँगाई बढ़ने के साथ अब सरकार ने इकाई लागत की राशि को बढ़ा दिया है जिससे किसानों को अब अनुदान भी अधिक मिलता है।
पिछले 10 सालों के दौरान प्याज भंडारण बनाने के लिए आवश्यक विभिन्न घटकों की इनपुट लागत में वृद्धि को देखते हुए MIDH दिशा निर्देशों के साथ-साथ लागत मानदंडों को भी संशोधित किया गया है।
जिसके तहत कम लागत वाले प्याज भंडारण की लागत को 25 मीट्रिक टन की अधिकतम क्षमता के लिए 10,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक बढ़ा दिया गया है। जिसमें पात्र परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर से सब्सिडी प्रदान की जाती है।
इसके अलावा देश में प्याज भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए उच्च क्षमता अर्थात 1,000 मीट्रिक टन की अधिकतम क्षमता के साथ कम लागत वाले प्याज भंडारण को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।
अन्य फसलों को नुकसान से बचाने के लिए भी चलाई जा रही है योजनाएँ
केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि MIDH स्कीम के अंतर्गत सभी जल्दी खराब होने वाली बागवानी फसलों को शामिल किया गया है।
इसके अलावा उद्योग मंत्रालय प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के एक घटक के रूप में समेकित शीत शृंखला, मूल्य संवर्धन और संरक्षण अवसंरचना स्कीम को भी कार्यान्वित कर रहा है, जिसका उद्देश्य बागवानी और गैर-बागवानी उत्पादों के फसलोपरांत नुकसान को कम करना और किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य प्रदान करना है।
इसके अलावा बागवानी सहित शीघ्र खराब होने वाली फसलों के विकास के लिए गतिविधियां, अन्य विभिन्न स्कीमों जैसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) आदि के तहत की जा सकती है।
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