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200 क्विंटल हेक्टेयर तक उत्पादन देने वाली लहसुन की टॉप 5 किस्में

लहसुन एक मसाले वाली फसल है।

इसका प्रयोग खाने में किया जाता है, साथ ही सेहत संबंधी कई तरह की समस्याओं को दूर करने में भी प्रयोग किया जाता है।

भारत में लहसुन की खेती अधिकतर सभी राज्यों में होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में इसकी खेती मुख्य रूप से होती है।

अभी रबी सीजन में लहसुन की चौपाई का काम चल रहा है।

लहसुन की खेती करके किसान कम समय में अपनी आमदनी को सरलता से बढ़ा सकते हैं।

देखा जाए तो लहसुन की फसल से ही किसान 10-15 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं।

 

140 दिनों में होती है तैयार

लेकिन लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में पता होना चाहिए।

जैसे की उन्नत किस्मों की जानकारी। अगर किसान लहसुन Top 5 Garlic Variety की खेती से अधिक उपज प्राप्त करना चाहते हैं, तो आधुनिक किस्मों की बुवाई करनी चाहिए।

तो आइए जान लेते है लहसून की उन टॉप 5 किस्मों के बारे में, जिनसे प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है।

 

लहसून के लिए उपर्युक्त जलवायु, मिट्टी एवं खेत तैयारी

उपयुक्त जलवायु : लहसुन की खेती Top 5 Garlic Variety के लिए मध्यम ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है।

उपयुक्त मिट्टी : इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उचित रहती है, जिसमें जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक रहे।

लहसून के लिए खेत की तैयारी : किसान को खेत में सबसे पहले 3 गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद खेत को समतल बनाकर क्यारियां और सिचांई की नालियां बना लेनी चाहिए।

बता दें कि लहसुन की अधिक उपज के लिए डेढ़ से दो क्विंटल स्वस्थ कलियां प्रति एकड़ लगती हैं।

 

लहसून की टॉप 5 किस्में

लहसुन की ये पांच किस्में यमुना सफेद-2 (जी-50), टाइप 56-4 किस्म, जी 282 किस्म, सोलन किस्म और एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) खेत में 140-170 दिनों में तैयार हो जाती हैं,

और ये सभी किस्में प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम हैं।

इन किस्मों की विस्तारपूर्वक जानकारी आर्टिकल में दी गई है।

 

लहसून यमुना सफेद-2 (जी-50) किस्म

लहसुन की यमुना सफेद-2 (जी-50) किस्म का कंद काफी ठोस होता है और इसका गूदा क्रीमी रंग का होता है।

किसान इस किस्म से उपज 165-170 दिन के अंदर पा सकते हैं, जो प्रति हेक्टेयर 130-140 क्विंटल तक पैदावार देती है।

 

लहसून टाइप 56-4 किस्म

लहुसन की टाइप 56-4 किस्म को पंजाब कृषि विश्वविधालय ने तैयार किया है।

इस लहसुन की गांठें सफेद और वहीं आकार में छोटी होती है।

इस किस्म में 25-34 कलियां होती है। यह प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल तक बढ़िया उपज देती है।

 

लहसून जी 282 किस्म

इस किस्म की लहसुन Top 5 Garlic Variety काफी सफेद रंग की होती है, जिसके गांठे बड़े-बड़े होते हैं।

किसान जी 282 किस्म से प्रति हेक्टेयर 175-200 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

यह किस्म खेत में 140-145 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

 

लहसून सोलन किस्म 

Top 5 Garlic Variety : लहसुन की सोलन किस्म हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में तैयार की गई है।

इस किस्म की लहसुन काफी मोटी होती है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि लहसुन की सोलन किस्म अन्य किस्मों से कहीं अधिक पैदावार देने में सक्षम है।

 

लहसुन एग्रीफाउंड सफेद (जी-41)

लहसुन की इस किस्म के कंद में 20-25 कलिया होती है।

यह खेत में 160-165 दिन में ही तैयार होकर बाजार में बिकना शुरू कर देती है।

लहसुन की एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) से किसान प्रति हेक्टेयर 125-130 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

 

ऐसे करें बुवाई

किसानों को लहसुन की अधिक उपज के लिए बुवाई डबलिंग विधि द्वारा करनी चाहिए। इसके साथ ही क्यारी में कतारों की दूरी 15 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए.

इसके अलावा दो पौधों के बीच की दूरी 7.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। किसानों को बोने की गहराई 5 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए।

लहसून में सिंचाई प्रबंधन : लहसुन की गांठों के अच्छे विकास के लिए 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए।

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