जून माह में मानसून की लंबी खेंच ने किसानों को चिंता में डाला अब जुलाई-अगस्त में लगातार हो रही बारिश से किसान बैचेन है। बीते एक पखवाड़े से रुक-रुककर हो रही बारिश व आसमान में छाए बादलों से फसलों की सेहत पर विपरित असर पडऩे लगा है।
खेतों में जल भराव जैसे हालात है। फसलों को धूप नहीं मिल रही। ऐसे में मिर्ची, कपास पर बीमारियां आने की आशंका बढ़ गई है।
जिन खेतों में पानी भरा है वहां कपास के पौधे पीले पडऩे लग हैं। कहीं-कहीं मिर्ची पर फंगस का अटैक दिख रहा है।
बीमारियों की आशंका, किसानों को फसल के लिए दी सलाह
बरसलाय के किसान पप्पू निकुम, शांतिलाल यादव, निमगुल के सुभाष यादव, बामखल के प्रवीण यादव, संतोष यादव, रायपुरा में विजय पटेल आदि ने बताया जब बारिश की जरूरत थी तब मानसून लेट हुआ अब पर्याप्त पानी है तो बारिश थमने का नाम नहीं ले रही।
उपज को बेहतर करने के लिए अब कीटनाशकों के छिडक़ाव का समय है, मिट्टी पलटना है, लेकिन मिट्टी में नमी अधिक होने व खेतों में पानी जमा होने से यह कम नहीं हो पा रहे। ऐसे में उपज बिगडऩे का अंदेशा है।
उत्पादन होगा प्रभावित
किसानों ने बताया अभी उपज ठीक है। लेकिन इसी तरह आठ-दस दिन मौसम बना रहा और बारिश होती रही तो उत्पादन आधा होगा।
कपास के पौधों में सडऩ की आशंका है। उधर, कृशि विभाग किसानों को सचेत कर उपज की देखभाल करने की सलाह दे रहा है।
कृषि विज्ञान केन्द्र खरगोन के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी ने किसानों को सलाह दी है कि जिन खेतों में पानी का जमाव हो गया है वहां से तत्काल नाली बनाकर पानी को खेत से बाहर करें।
- जल निकास के बाद जड़ सडऩ की स्थिति में कॉपर आक्सीक्लोराईड 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर जड़ों में ड्रेचिंग करे।
- रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए नीम तेल 3000 पीपीएम वाला 3 एमएल प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- मिर्च के पौधों में विल्ट की समस्य पर हेक्साकोनाझोल केप्टान के मिश्रित फफूंदीनाशक 500 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से ड्रेचिंग करे।
खेतों में लगा गर्मी का कपास ज्यादा प्रभावित
किसानों ने बताया कि लगातार बारिश होने के कारण खेतों में लगा गर्मी का कपास ज्यादा प्रभावित होगा। यह पौधे अब फूल-पुड़ी पर चल रहे हैं। ऐसे में बारिश से नुकसान होगा।
पर्याप्त धूप की सख्त जरूरत है। इसी तरह मिर्ची भी फूल पर चल रही है। दवाइयों का छिडक़ाव समय पर नहीं हो पाया हो बीमारियां पौधे को घेरेगी।
source : patrika