गेहूं की फसल में काला, पीला रतुआ लगे तो क्या करें क‍िसान

पूसा की ओर से जारी एडवाइजरी में बताया गया है क‍ि वर्तमान तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सभी सब्जियों तथा सरसों की फसल में चेपा के आक्रमण की निगरानी करें.

अगर इसका अटैक होता है तो उसके नियंत्रण के लिए वे सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25-0.5 मि.ली./लीटर पानी की दर से सब्जियों की तुड़ाई के बाद स्प्रे करें.

देश के ज्यादातर ह‍िस्सों में गेहूं की फसल तैयार होने वाली है, लेक‍िन इस समय फसल में काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने की बड़ी संभावना रहती है. इसका असर द‍िखाई देते ही फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें.

पूसा ने अपनी एडवाइजरी में क‍िसानों को यह सुझाव द‍िया है. रतुआ रोग गेहूं और जौ के सबसे खतरनाक और विनाशकारक रोगों में से एक माना जाता है. इससे गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित होती है और उत्पादन घट जाता है.

एक अनुमान के मुताबिक रतुआ रोग गेहूं की उपज को 30 फीसदी तक कम कर सकता है. ऐसे में इसे लेकर क‍िसानों को बहुत सतर्क रहना चाह‍िए.

 

पूसा ने द‍िया समाधान

पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने बताया क‍ि पीला रतुआ के लिये 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त है. 25 डिग्री सेल्सियस तापमान से अध‍िक होने पर रोग का  फैलाव नहीं होता.

भूरा रतुआ के लिये 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमी युक्त जलवायु आवश्यक है.

जबक‍ि काला रतुआ के लिये 20 डिग्री सेल्सियस से उपर तापमान ओर नमी रहित जलवायु आवश्यक है. इतना तापमान हो तो गेहूं की फसल को लेकर सतर्क रहें.

 

बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण

पूसा की ओर से जारी एडवाइजरी में बताया गया है क‍ि वर्तमान तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सभी सब्जियों तथा सरसों की फसल में चेपा के आक्रमण की निगरानी करें.

अगर इसका अटैक होता है तो उसके नियंत्रण के लिए वे सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25-0.5 मि.ली./लीटर पानी की दर से सब्जियों की तुड़ाई के बाद स्प्रे करें.

सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें. बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें.

 

बीजों के अंकुरण के ल‍िए अच्छा है तापमान 

इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए किसानों को सलाह है कि भिंडी की अगेती बुवाई हेतु ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई करें.

बुवाई से पूर्व खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें. बीज की मात्रा 10-15 क‍िलोग्राम प्रत‍ि एकड़ होगी.

मौसम को ध्यान में रखते हुए फ्रेंच बीन, गर्मी के मौसम वाली मूली इत्यादि की सीधी बुवाई के ल‍िए वर्तमान तापमान अनुकूल है.

बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान सही है. किसान उन्नत बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से ही प्राप्त करें.

 

बीज उपचार फायदेमंद

इस मौसम में मूंग और उड़द की फसलों की मार्च में बुवाई के ल‍िए किसान किसी प्रमाणित स्रोत से उन्नत बीजों को एकत्र करें.

मूंग की पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, पीडीएम-11, एसएमएल-32, उड़द की पंत उड़द-19, पंत उड़द-30, पंत उड़द-35 और पीडी यू-1 की बुवाई की सलाह दी गई है.

बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें.

इस मौसम में गेंदे में फूल में सड़न रोग के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. इसल‍िए किसान फसल की निगरानी करते रहें.

यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम प्रत‍ि लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

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