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कब और कैसे करें कपास की खेती

 

जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

 

देशभर में कपास की सबसे ज्यादा खेती महाराष्ट्र में ही होती है.

कपास महाराष्ट्र की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसल है.

महारष्ट्र के खानदेश, सोलापुर, सांगली, सतारा,जलगाँव जिलो में बड़े पैमाने पर कपास की खेती की जाती है.

 

भारत की लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर कपास की खेती की जाती हैं.

इसके प्रत्येक हेक्टेयर क्षेत्र में 2 मिलियन टन कपास के डंठल अपशिष्ट के रूप में विद्यमान रहते हैं.

देशभर में कपास की सबसे ज्यादा खेती महाराष्ट्र में ही होती है और पूरे सीजन के दौरान राज्य में 33 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में कपास की फसल लगती है.

कपास की खेती नगदी फसल के रूप में होती है. इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है.

इसकी खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है. बाजार में कपास की कई प्रजातियाँ आती हैं, जिनसे ज्यादा पैदावार मिलती है.

सबसे ज्यादा लम्बे रेशों वाली कपास को अच्छा माना जाता है. इसकी ज्यादा पैदावार तटीय इलाकों में होती है.

कपास की खेती में ज्यादा मेहनत लगती है. इसका उपयोग कपड़ा बनाने में ज्यादा किया जाता है.

इसके बीज से तेल भी निकाला जाता है, बचा भाग पशुओं को खिलाया जाता है.

 

कपास की खेती के लिए सही मोसम

कपास की फसल लंबी अवधि की फसल है. कपास के लिए स्वच्छ, गर्म और शुष्क जलवायु अनुकूल होती है.

कपास के बीजों के अंकुरण के लिए आवश्यक तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस और आगे बढ़ने के लिए 20 से 27 डिग्री सेल्सियस होता है.

कपास के लिए न्यूनतम और अधिकतम तापमान 15 से 35 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 75 प्रतिशत से कम होनी चाहि.

इस प्रकार का मौसम गर्म दिनों और ठंडी रातों में बांडों को अच्छी तरह से भरने और उबालने के लिए उपयुक्त होता है.

 

कपास की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी

सही मिट्टी का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कपास की फसल लगभग छह महीने तक खेत में रहती है.

कपास की खेती के लिए काली, मध्यम से गहरी (90 सेमी) और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करें.

कपास को उथली, हल्की खारी और दोमट मिट्टी में लगाने से बचें.

पोषक तत्वों की उपलब्धता और मिट्टी की सतह के बीच संबंध के कारण मिट्टी की सतह लगभग 6 से 8.5 होनी चाहिए.

 

कपास की खेती की कैसे करे बोवाई

सिंचित गैर-बीटी कपास की समय पर बुवाई आवश्यक है.

देर से बिजाई करने से बिक्री के समय बारिश या कीटों और बीमारियों के प्रकोप के कारण नुकसान हो सकता है.

बिजाई के तुरंत बाद 4 से 6 इंच की छिद्रित पॉलीथीन की थैलियों में मिट्टी और कम्पोस्ट या खाद भरकर भरपूर पानी दें.

फिर प्रत्येक बैग पर 2 से 3 बीज रोपें. इन थैलियों का उपयोग अंतराल को भरने के लिए किया जाना चाहिए.

तब तक, बैगों को कीड़ों से बचाने के लिए पेड़ की छाया में रखें और उन्हें बार-बार पानी दें.

आम तौर पर एक एकड़ हल भरने के लिए 250 से 300 बोरे पर्याप्त होते हैं.

 

कपास में कौन सा खाद डालें ?

कपास की फसल में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग जरूरी है नहीं तो उत्पादन मे कमी आ सकती है.

खाद एवं उर्वरको का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए यदि मृदा में कार्बनिक तत्वों की कमी हो तो उनकी पूर्ति करे.

खेत तैयारी के समय आखिरी जुताई में कुछ मात्रा गोबर की खाद सड़ी खाद में मिलाकर प्रयोग करना है.

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