मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमारी सरकार किसानों के पसीने की पूरी कीमत देगी।
राज्य सरकार खेती को फायदे का धंधा बनाने, किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसीलिए कठिन परिश्रम से ली गई ग्रीष्मकालीन मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी की घोषणा 8 जून को की गई।
युद्ध स्तर पर पंजीयन हुआ और अब खरीदी की प्रक्रिया आरंभ की जा रही है।
मेरे किसान भाइयों-बहनों, आपने घनघोर परिश्रम करके मूंग का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।
अधिक उत्पादन होने से कीमतें घट गईं, तो हमने तत्काल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी का निर्णय लिया।
आज से ही खरीदी प्रारंभ हो गई है। किसानों का हित हमारी प्राथमिकता है। pic.twitter.com/Uv3O6MDQUk
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 15, 2021
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मुख्यमंत्री मंत्रालय से ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीद प्रक्रिया का वर्चुअल शुभारंभ कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कम समय में पंजीयन और खरीद की प्रक्रिया आरंभ करने के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल, कृषि विभाग के अधिकारी, जिलों के कलेक्टर तथा मैदानी अमला बधाई का पात्र है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जिलों के किसानों से भी वर्चुअली बातचीत की।
खरीदी केन्द्रों पर बरसात के पानी से बचाव की होगी पूरी व्यवस्था
चौहान ने कहा कि बरसात में ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी कठिन कार्य है। किसानों ने गर्मी के महीनों में परिश्रम कर मूंग का रिकार्ड उत्पादन किया है।
अधिक उत्पादन के कारण दाम कम होने के फलस्वरूप समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी का निर्णय लिया गया। इस निर्णय से मूंग के दाम स्थिर हुए हैं।
वर्षा ऋतु को देखते हुए ऐसे स्थानों पर ही खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं जहाँ मूंग को भीगने से बचाया जा सकेगा।
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अब तक 2 लाख 32 हजार किसानों ने कराया पंजीयन
किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने जानकारी दी कि प्रदेश में 6 लाख 82 हजार हेक्टेेयर से अधिक क्षेत्र में मूंग लगाई गई है।
अब तक 2 लाख 32 हजार किसानों ने पंजीयन करा लिया है। सर्वाधिक पंजीयन कराने वाले प्रथम पाँच जिले क्रमश: होशंगाबाद, हरदा, नरसिंहपुर, सीहोर और जबलपुर हैं।
प्रति क्विंटल 7,196 रुपये समर्थन मूल्य की घोषणा से किसानों को बड़ी राहत मिली है।
आईटी सेक्टर के युवा अपना रहे है खेती
मुख्यमंत्री ने होशंगाबाद, हरदा और जबलपुर के मूंग उत्पादक कृषकों से बातचीत की।
होशंगाबाद के संतोष कुमार रघुवंशी ने कहा कि नहर के चलने से उम्मीद से अधिक उत्पादन हुआ है।
जबलपुर के बी.डी. अरजरिया ने कहा कि दलहन विकास की योजनाओं से किसान मालामाल हो रहे हैं।
सरकार की किसान हितैषी नीतियों के परिणाम स्वरूप क्षेत्र के कई युवा जो आईटी सेक्टर में नौकरी के लिये हैदराबाद, पूना और बेंगलुरु चले गए थे।
वे वापिस अपने गाँव आकर धान, चना, उड़द और मूंग की लाभकारी खेती को अपना रहे हैं।
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