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गन्ने की अधिक पैदावार के लिए 2 नई किस्म की गई विकसित

गन्ना नई किस्म को.शा. 17231 एवं यू.पी.14234

 

देश में फसल उत्पादन एवं उत्पादकता एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा नई-नई क़िस्में विकसित की जा रही है।

वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की जा रही इन किस्मों से न केवल अधिक पैदावार प्राप्त होती है बल्कि यह क़िस्में रोग प्रति रोधी होने के चलते फसल उत्पादन की लागत में भी कम आती है।

इस कड़ी में “बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृत उपसमिति” की बैठक आयोजित की गई।

इस बैठक में वैरायटल रिलीज़ कमेटी द्वारा गन्ना किसानों हेतु 2 नई गन्ना किस्मों को.शा. 17231 एवं यू.पी. 14234 को प्रदेश में सामान्य खेती हेतु जारी किया गया है।

 

उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त श्री संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में हुई “बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृत उपसमिति” की बैठक में वैज्ञानिकों के द्वारा प्रस्तावित नवीन किस्मों के आँकड़े प्रस्तुत किए गए।

प्रस्तुत आकड़ों की गहनता पूर्वक अवलोकन कर सर्वसम्मति से गन्ना किस्म को.शा. 17231 एवं यू.पी. 14234 को उत्तर प्रदेश में सामान्य खेती हेतु स्वीकृत किया गया है।

 

इन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है यह क़िस्में 

वैज्ञानिकों के द्वारा नई विकसित किस्मों को सामान्य खेती हेतु स्वीकृत होने से गन्ना किसानों के उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ चीनी परतें में भी वृद्धि होगी तथा प्रदेश के गन्ना किसानों हेतु नवीन किस्मों की श्रेणी में विकल्प के तौर पर और क़िस्में उपलब्ध हो सकेंगी।

गन्ना किस्म यू.पी. 14234 उन क्षेत्रों के लिए है, जहां की भूमि ऊसर है तथा उन क्षेत्रों में गन्ने की खेती नहीं हो रही है अथवा गन्ने की उपज बहुत कम है।

ऐसे क्षेत्रों में यू.पी. 14234 गन्ना किसानों हेतु लाभदायक सिद्ध होगी।

वहीं को.शा. 17231 गन्ना किस्म के बारे में बताया गया कि इस नई किस्म का जमाव, व्यात एवं मिल योग्य गन्नों की संख्या अच्छी है तथा गन्ना मोटा एवं लम्बा होने के साथ-साथ पेड़ी उत्पादन की क्षमता भी बेहतर है।

 

बंद की जाएगी गन्ना किस्म को.पी.के. 05191 की खेती

वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई नई क़िस्में गन्ने में लगने वाले लाल सड़न रोगरोधी हैं।

लाल सड़न के रोग ग्राही हो जाने के कारण गन्ना किस्म को.पी.के. 05191 को फेज आउट करने का भी निर्णय लिया गया है।

पेराई सत्र 2022-23 में इस किस्म की पेड़ी एवं पौधा फसल सामान्य किस्म के रूप में क्रय की जाएगी तथा पेराई सत्र 2023-24 में केवल पेड़ी फसल को सामान्य किस्म के रूप में लिया जायेगा।

बुआई वर्ष 2022-23 से यह किस्म बुआई के लिए प्रतिबंधित होगी तथा बुआई करने की दशा में इसे अस्वीकृत किस्म के रूप में माना जायेगा।

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