प्रदेश के 40 लाख किसानों को मिलेगा ब्याज मुक्त ऋण

खेती की लागत घटाने के लिए सरकार उठाती है ब्याज, अगले वर्ष के लिए 694 करोड़ का प्रविधान

19 हजार 895 करोड़ रुपये का अल्पावधि ऋण मिला था 2024-25 में 33 लाख किसानों को

मध्य प्रदेश में खेती की लागत कम करने के लिए किसानों को ब्याजमुक्त फसल ऋण दिया जा रहा है।

2024-25 में खरीफ और रबी सीजन में 33 लाख किसानों को 19 हजार 895 करोड़ रुपये का अल्पावधि ऋण दिया गया था।

इसे 2025-26 में 40 लाख किसानों को दिलाने का लक्ष्य है। इसके लिए न केवल प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का दायरा बढ़ाया जा रहा है बल्कि नई समितियां भी गठित की जा रही हैं।

प्रदेश में साढ़े चार हजार से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से सदस्य किसानों को बिना ब्याज का ऋण मिलता है।

इसमें सामग्री के साथ-साथ नकद राशि भी दी जाती है ताकि किसान खेती से जुड़ी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें।

सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भूमि के क्षेत्र और औसत उत्पादन के हिसाब से साख सीमा यानी उधार देने की सीमा का निर्धारण किया जाता है।

जैसे-जैसे खाद-बीज सहित खेती से जुड़े कामों की लागत बढ़ रही है, उसे देखते हुए इसमें भी वृद्धि की जा रही है।

 

21 हजार करोड़ रुपये के अल्पकालीन ऋण की आवश्यकता होगी वर्ष 2025-26 में किसानों के लिए

अनुमान के अनुसार वर्ष 2025 26 में 21,000 करोड़ रुपये के अल्पकालीन ऋण की आवश्यकता होगी।

राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि सहकारी बैंक (नाबार्ड) से भी ऋण लिया जाएगा और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अपनी पूंजी भी लगाएंगे।

 

500 नई समितियां बनाने का लक्ष्य

भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय गठित कर यह स्पष्ट कर दिया है कि इस क्षेत्र का विस्तार किया जाना है। इसके लिए प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है।

मध्य प्रदेश में लगभग पांच सौ नई समितियां गठित करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि किसानों को सभी सुविधाएं पास में ही मिल जाएं।

एक समिति का दायरा तीन पंचायत क्षेत्र से अधिक न हो। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि समितियों के गठन में व्यावहारिक दृष्टिकोण रखा जा रहा है।

समितियां स्वयं का कारोबार करके अपने पैरों पर खड़ी हॉ, इसके लिए उन्हें अलग-अलग गतिविधियों से जोड़ा जाना भी प्रस्तावित है।

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