इफको ने बनाया रिकॉर्ड
उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर प्लांट में भी नैनो यूरिया संयंत्रों का निर्माण जारी, ब्राजील और अर्जेंटीना में भी नैनो यूरिया प्लांट लगाएगा इफको.
कृषि जगत में नई क्रांति के तौर पर देखे जा रहे नैनो यूरिया लिक्विड का उत्पादन तेज कर दिया गया है. ताकि किसानों को पारंपरिक यूरिया से निजात मिले.
नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है जो कि पौधों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन के निर्माण, पौधे की संरचना एवं वानस्पतिक वृद्दि के लिए उपयोगी है.
विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था इफको ने एक करोड़ से अधिक बोतलों के उत्पादन को पार कर लिया है.
अभी इसके सिर्फ एक प्लांट में इसका निर्माण हो रहा है. इफको के एमडी यूएस अवस्थी ने गुजरात स्थित कलोल प्लांट में इसके निर्माण में लगे कर्मचारियों का हौसला बढ़ाया.
इफको प्रबंधन का इरादा अगले दो साल में कुल यूरिया उत्पादन का 50 फीसदी नैनो यूरिया लिक्विड में रिप्लेश करने का इरादा है.
दावा है कि नैनो यूरिया लिक्विड के इस्तेमाल से फसल उपज में औसतन 8 प्रतिशत वृद्धि होगी.
यही नहीं फसलों की गुणवत्ता में सुधार होगा और लागत में कमी भी आएगी.
इन प्लांटों में भी होगा प्रोडक्शन
इफको अधिकारियों के मुताबिक पहले चरण में वर्ष 2021-22 के दौरान कलोल इकाई में प्रोडक्शन जारी है.
जबकि उत्तर प्रदेश की आंवला (बरेली) और फूलपुर (प्रयागराज) में नैनो यूरिया संयंत्रों का निर्माण चल रहा है. कांडला तथा पारादीप में इसकी तैयारी चल रही है.
शुरू में इन संयंत्रों में 500 एमएल की नैनो यूरिया की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 14 करोड़ बोतल की होगी जिसे बाद में बढ़कर 18 करोड़ बोतल तक होने का अनुमान है.
बताया गया है कि तृतीय चरण में सालाना 32 करोड़ बोतल की उत्पादन क्षमता को प्राप्त करना है.
इसके बाद किसानों को यूरिया की उपलब्धता में दिक्कत नहीं आएगी.
इफको अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के सदस्य के रूप में ब्राजील और अर्जेंटीना में भी नैनो यूरिया प्लांट लगाएगा.
कब हुई शुरुआत
देश में पहली बार नैनो यूरिया लिक्विड की घोषणा इसी साल 31 मई को की गई थी.
लेकिन इसका कॅमर्शियल उत्पादन जून में शुरू हुआ था. इसका उत्पादन कलोल स्थित नैनो जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र में शुरू हुआ.
500 एमएल नैनो यूरिया की एक बोतल सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर होगी.
इसलिए किसानों को इसे रखने और ले जाने में भी सहूलियत होगी. यह ‘आत्मनिर्भर भारत’का सबसे बड़ा उदाहरण है.
क्यों फायदे का सौदा है नैनो यूरिया लिक्विड
नैनो यूरिया का इस्तेमाल कैसे करना है, इसे लेकर इफको लगभग हर प्रदेश में किसानों को प्रशिक्षण दे रही है. दावा है कि यह पर्यावरण के अनुकूल है.
क्योंकि मिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी. इससे पौधों में बीमारी और कीटों का खतरा भी कम होगा.
इससे पोषक तत्वों की गुणवत्ता ठीक होती है. इसके 500 एमएल की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर होता है.
विश्वसनीयता के पैमाने पर खरा
नैनो यूरिया पर किसानों को विश्वास हो इसके लिए 94 फसलों पर इसे टेस्ट किया गया. यही नहीं 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण किए गए.
ताकि फसलों पर इसकी प्रभावशीलता की जानकारी मिल सके.
दावा है कि इन परीक्षणों में यह पता चला है कि फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
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