हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

मक्का की खेती मे प्रमुख कीट एवं उनका नियंत्रण

 

कीट एवं उनका नियंत्रण

 

मक्का की खेती मे प्रमुख कीट गुलाबी छेदक, फिड, दीमक, तना छेदक फाल आर्मी वर्म, सूत्रकृमि है, इसमे हम इन कीट के बारे मे एवं उनके नियंत्रण के बारे मे जानेंगे।

 

गुलाबी छेदक

पहचान – मक्का की फसल में यह कीट तना में घुसकर पौधे के तने पर गोल और एस नाप की गोलियां बनाकर उन्हें मल से भर देता है और सतह पर छेद कर देता है।

बचाव – फसल कटाई के बाद खेत में गहरी जुताई करनी चाहिए। मक्का की कीट प्रतिरोधी किस्मो का चयन करे।

एक कीटनाशक एक बार ही उपयोग करना चाहिए। खेत को खरपतवार से मुक्त रखे।

 

रासायनिक नियंत्रण – मक्का की फसल में इस की रोकथाम के लिए क्लोरेट्रानिलिप्रोएल 18.5 % एससी 60 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

 

एफिड

पहचान – इस कीट के शिशु व प्रौढ़ पौधों का रस चूसते है व फसल को अत्याधिक हानि पहुँचाते हैं। जिसके कारण उपज कम हो जाती है।

 

बचाव – मक्का की फसल का कीट से बचाव करने के लिए फसल में समय से कीटनाशक दवा का स्प्रे करे।

 

रासायनिक नियंत्रण – मक्का की फसल में इस कीट की रोकथाम करने के लिए इमिडाक्लोप्रीड 17.8 % एसएल 50 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।

 

दीमक

पहचान – मक्क़ा की फसल में यह कीट पौधे की जड़ जो काटकर पौधे को नुकसान पहुंचाता है। और पौधा धीरे – धीरे सूखने लग जाता है। 

 

बचाव – मक्का की फसल का इस कीट से बचाव करने के लिए खेत को साफ सुथरा रखें फसल में नमी बने रखे। खेत में कच्ची गोबर की खाद का इस्तेमाल न करे।

रासायनिक नियंत्रण – मक्का की फसल में इस कीट की रोकथाम करने के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी ( Chlorpyrifos 20 % EC ) 1 लीटर प्रति एकर 25 से 30 किलोग्राम मिटटी में मिलाकर खेत में डाल दे। और उसके बाद हल्की सिंचाई करें।

 

तना छेदक फाल आर्मी वर्म

पहचान – मक्का की फसल में यह कीट पूरी फसल को प्रभवित करता है 20 से 25 दिन की फसल में इस कीट के लक्षण फसल में दिखने जाते है।

इसके नुकसान से पौधा बौना रह जाता है। और फसल का विकास रुक जाता है। फसल में यह कीट पत्तों में गोलाकार छेद बनाकर फसल के गोभ को खाता है।

 

बचाव – फसल की साप्ताहिक निगरानी करना चाहिये । तना छेदक कीट नियंत्रण के लिए 2 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ प्रयोग करे।

लाइन से लाइन तथा पौधे से पौधे की दूरी को ध्यान में रखते हुए फसल की बुवाई करें। अंतवर्ती फसल के रूप में दलहनी फसल मूंग , उड़द लगाएं।

 

रासायनिक नियंत्रण – मक्के की फसल में पहला छिड़काव बुवाई के बाद 15 दिन में Cypermathin 4 % EC + Profenofos 40 % EC 300 मिली प्रति एकड़ की दर से उपयोग करे। या

क्लोरेट्रानिलिप्रोएल 18.5 % एससी 60 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। या दानेदार कीटनाशक Carbofuran 3 % GR का उपयोग 5 से 10 दाने पौधे की कोत में डालें।

इस तरह मक्का की फसल को फॉल आर्मी वर्म से सुरक्षित रखा जा सकता है।

 

जैविक नियंत्रण – जैविक तरीके से नियंत्रण में 2 किलोग्राम गुड़ को 5 लीटर पानी में घोलकर उसमें 900 मिली बवेरिया बेसियाना को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।

 

सूत्रकृमि

पहचान – मक्का की फसल इस रोग के कारण अपने आप सूखने लगती है।

 

बचाव – गर्मी मे गहरी जुताई करे । विरलीकरण ( थीनिंग ) द्वारा पौधे की निर्धारित दूरी सुनिश्चित कर लें।

 

रासायनिक नियंत्रण – इस कीट से फसल का बचाव करने के लिए फसल बुवाई से पहले 1 एकड़ खेत में 8 किलोग्राम carbofuron का इस्तेमाल करे।

यह भी पढ़े : PM Kisan Yojana: नए साल में किसानों को पीएम मोदी देंगे गिफ्ट

 

यह भी पढ़े : सोलर पंप पर सब्सिडी के लिए आवेदन करे

 

शेयर करे