एमपी में करोड़ों रुपए की लागत से किसानों का जीवन स्तर में सुधारने की योजना

एमपी में 35 हजार करोड़ रु. से किसानों का बदलेगा जीवन, पूरी योजना एवं किन्हें मिलेगा लाभ जानिए…

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खबर यह है कि आने वाले 5 सालों के दौरान उनके जीवन स्तर में काफी बदलाव होने वाला है, इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा योजना की मंजूरी दी जा चुकी है। योजना पर कार्य भी शुरू हो चुका है।

 

PKC project in MP

मध्य प्रदेश एवं राजस्थान सरकार संयुक्त रूप से इस योजना के भागीदार हैं मध्य प्रदेश में इस योजना के अंतर्गत 35 हजार करोड रुपए के कार्य होंगे वहीं राजस्थान में 40 हजार करोड रुपए के कार्य होंगे।

केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का नाम पार्वती-काली सिंध-चंबल परियोजना है। इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा 22 बांध बनाए जाएंगे।

प्रदेश सरकार पार्वती, कालीसिंध और चंबल (पीकेसी) परियोजना के तहत प्रदेश में 22 बांध बनाएगी। इससे मध्य प्रदेश के चंबल और मालवा क्षेत्र के 13 जिलों को लाभ मिलेगा।

सरकार की इस परियोजना से एमपी के किन-किन जिलों को लाभ मिलेगा एवं पूरी योजना (PKC project in MP) क्या है आईए जानते हैं डिटेल…

 

एक नजर में पूरी योजना

योजना का नाम :– पार्वती, कालीसिंध और चंबल परियोजना

योजना की टाइमलाइन :– 02 चरणों में होगा बांध निर्माण, मुख्यमंत्री जल्द करेंगे समीक्षा।

योजना की लागत :– 75 हजार करोड़ की रुपये की कुल लागत है एमपी को इसमें से 35 करोड़ रुपए मिलेंगे 40 करोड रुपए राजस्थान सरकार को मिलेंगे।

 

एमपी के 13 जिलों को मिलेगा लाभ

इस योजना के तहत मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी। वहीं औद्योगिक क्षेत्र वाले जिलों इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

पहले चरण में 13 बांध और दूसरे चरण में नौ बांध बनाए जाएंगे। दोनों चरणों का काम एक साथ किया जाएगा।

सको लेकर जल्द ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव समीक्षा बैठक करेंगे।

 

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5 वर्ष में पूरी होगी परियोजना

मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच हुए समझौते के अनुसार पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना में कुंभराज काम्प्लेक्स, सीएमआरएस काम्प्लेक्स, लखुंदर बैराज, रणजीत सागर परियोजना तथा ऊपरी चंबल कछार में सात सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण होगा।

मध्य प्रदेश में इसके तहत गांधी सागर बांध की अपस्ट्रीम में चंबल, शिप्रा और गंभीर नदी पर प्रस्तावित छोटे बांधों का निर्माण किया जाएगा।

इस परियोजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी और अपनी- अपनी सीमा में बनने वाले प्रोजेक्ट की लागत का सिर्फ 10 प्रतिशत मप्र और राजस्थान देंगे।

परियोजना पांच वर्ष के भीतर पूरी होगी। इसकी लागत लगभग 75 हजार करोड़ रुपये है। इसमें मप्र में 35 हजार करोड़ रुपये के निर्माण कार्य करवाए जाएंगे।

मध्य प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा के अनुसार पार्वती – कालीसिंध और चंबल परियोजना में हम राजस्थान सरकार की तुलना में बांध बनाने के कार्य में थोड़ा पीछे हैं, लेकिन जल्द ही मध्य प्रदेश में बांध बनाने का काम शुरू होगा।

अगले पांच साल में परियोजना का काम पूरा कर लिया जाएगा।

 

किसानों का बदलेगा जीवन

पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों के जल बंटवारे में बांध बनने के बाद पीकेसी परियोजना से दोनों राज्यों के लाखों किसानों का जीवन बदलेगा।

इस निर्णय से पर्यटन और उद्योग क्षेत्र में भी विकास के नए द्वार खुलेंगे। पेयजल की समस्या दूर होगी। नदियों के जल बंटवारे के निर्णय से पूर्वी राजस्थान और उत्तरी मध्यप्रदेश के जिले लाभान्वित होंगे।

केंद्र सरकार के सहयोग से महत्वपूर्ण निर्णय होगा। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो अभियान प्रारंभ किया था।

वर्ष 2003 में योजना बनी और नदी जोड़ो अभियान चला। दोनों राज्यों के हित वाला यह निर्णय लंबित रहा लेकिन अब इस पर एकमत हैं।

 

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