अधिकारियों को दिए जांच के निर्देश
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बायोस्टिमुलेंट की बिक्री को लेकर आईसीएआर और कृषि विभाग के अधिकारियों से कई सवाल किए।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित होने पर ही बायोस्टिमुलेंट की बिक्री को अनुमति दी जाए। बायोस्टिमुलेंट का परीक्षण किया जाए और नियम कायदे तय किए जाए।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बायोस्टिमुलेंट (Bio Stimulant) की बिक्री को लेकर 15 जुलाई के दिन आईसीएआर और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की।
बैठक में कृषि मंत्री ने अधिकारियों को सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि बायोस्टिमुलेंट के मामले में हम किसानों के साथ किसी भी हालत में धोखा नहीं होने देंगे।
उन्होंने अधिकारियों को हिदायत दी कि वे कोई भी अनुमति देते समय किसानों की सूरत को ध्यान में रखें, हम देश के छोटे किसानों के साथ किसी भी हालत में अन्याय नहीं होने देंगे।
शिवराज सिंह ने कहा कि कुछ बेईमान गड़बड़ियां कर रहे हैं, जिनसे किसानों को बचाना मेरी जवाबदारी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हाल ही में देशभर में चलाए गए पंद्रह दिवसीय ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दौरान जब वे राज्यों में प्रवास कर गांव-गांव, खेतों में गए थे और किसानों से सीधा संवाद किया था, इस दौरान कई किसानों ने नकली खाद, नकली बीज, नकली उर्वरक, बायोस्टिमुलेंट तथा नैनो यूरिया की बिक्री को लेकर शिकायतें की थी।
उन्होंने कहा कि किसानों से शिकायतें मिलने के बाद मैं चुप नहीं बैठ सकता, किसान सर्वोपरि हैं। देश का कृषि मंत्री होने के नाते मेरी जवाबदारी है कि इस संबंध में कार्रवाई करूं।
किसानों को फायदा होने पर ही दी जाए अनुमति
कृषि मंत्री ने बायोस्टिमुलेंट पर अनेक गंभीर सवाल खड़े करते हुए बैठक में अधिकारियों से कहा कि देश में बायोस्टिमुलेंट कई सालों से बिक रहा है और एक-एक साल करके इसकी बिक्री की अनुमति की अवधि बढ़ाई जाती रही है, लेकिन फील्ड से कई बार शिकायतें आती है कि इससे कोई फायदा नहीं है, फिर भी ये बिक रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इसकी पूरी समीक्षा करना आवश्यक है कि इससे कितना फायदा किसानों को हो रहा है, यदि नहीं तो बेचने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
बिना अर्थ के हजारों कंपनियां इसकी बिक्री करने लग गई, लेकिन कृषि मंत्री होते हुए अब मैं किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने दूंगा।
उन्होंने अधिकारियों से बायोस्टिमुलेंट के इतिहास, आज की स्थिति, पंजीकृत उत्पादों की संख्या, बाजार में इसकी बिक्री को नियंत्रित करने के उपाय, सेम्पलिंग या टेस्टिंग की व्यवस्था है या नहीं, असली-नकली की पहचान के तरीके और गड़बड़ होने की स्थिति में कार्रवाई के लिए प्रावधान की पूरी जानकारी मांगी।
बायोस्टिमुलेंट का किया जाए परीक्षण
केंद्रीय कृषि मंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि किसानों के भरोसे के लिए बायोस्टिमुलेंट का आईसीएआर से परीक्षण भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि किसान हमारे लिए सर्वोपरि है, इसलिए यह देखा जाए कि किसानों के लिए ये तकनीकी रूप से कितने उपयोगी हैं।
उन्होंने अधिकारियों के प्रति इस बात के लिए काफी नाराजगी व्यक्त की कि कुछ सालों तक 30 हजार बायोस्टिमुलेंट उत्पाद बिकते रहे और अधिकारियों द्वारा इसपर आपत्ति नहीं जताई गई।
उन्होंने कहा कि गत 4 साल से करीब 8 हजार बायोस्टिमुलेंट बिकते रहे, जब मैंने इस बारे में सख्ती की तो अब तकरीबन 650 बायोस्टिमुलेंट ही बचे हैं। उन्होंने कहा ऐसी लापरवाही ना बरती जाए, जिससे किसानों को नुकसान हो।
बायोस्टिमुलेंट को प्रमाणित होने के बाद ही मिलेगी अनुमति
बैठक में कृषि मंत्री ने विस्तार से समीक्षा की और अधिकारियों से सवाल किया कि ऐसा कोई डेटा है कि जिससे पता चले कि बायोस्टिमुलेंट से उत्पादन कितना बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि अब उन्हीं बायोस्टिमुलेंट को अनुमति दी जाएगी, जो सारे मापदंडों पर किसान हित में खरे उतरे हैं।
वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित होने पर ही अब अनुमति दी जाएगी और इसकी पूरी जवाबदारी संबंधित अधिकारियों की रहेगी।
उन्होंने कहा कि जो सही है, अब उन्हें ही अनुमति दी जाएगी। उन्होंने सख्त निर्देशों के साथ यह चेतावनी भी दी कि आगे से कहीं कोई गड़बड़ी नहीं होने पाए।
उन्होंने कहा देश के किसान हम पर पूरा भरोसा करते हैं, आईसीएआर पर किसान भरोसा करते हैं, तो हमारी और वैज्ञानिकों की भी जवाबदारी है कि वे किसानों की भलाई की बात ही सोचें।
किसानों की जरूरत क्या है, उसके अनुसार ही वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों को कार्य करना चाहिए। इसके अलावा कृषि मंत्री ने नियम-कायदे तय करते हुए एसओपी बनाने के निर्देश भी बैठक में दिए।
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