सिंचाई की यह तकनीक फसलों के लिए साबित होगी वरदान

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई शुरू

उद्यानिकी फसलों के लिए सूक्ष्म सिंचाई एवं सेंसर बेस्ड ऑटोमेशन फर्टीगेशन सिस्टम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य सचिव ने कहा कि तह तकनीक उद्यानिकी फसलों के लिए वरदान सिद्ध होगी।

खेती-बाड़ी में पानी की खपत कम करने के साथ ही फसलों का उत्पादन और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है।

इस कड़ी में सूक्ष्म सिंचाई एवं सेंसर बेस्ड ऑटोमेशन फर्टीगेशन सिस्टम तकनीक का विकास किया गया है जो उद्यानिकी फसलों के लिए वरदान सिद्ध होगा।

इस तकनीक के माध्यम से उद्यानिकी फसलों को सिंचाई के लिए जल और उर्वरकों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सकता है।

यह बात मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण अनुपम राजन ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत “उद्यानिकी फसलों के लिए सूक्ष्म सिंचाई एवं सेंसर बेस्ड ऑटोमेशन फर्टीगेशन सिस्टम” विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में कही।

कार्यशाला राज्य कृषि विकास विस्तार एवं प्रशिक्षण संस्थान बरखेड़ी भोपाल में मंगलवार को आयोजित की गई थी।

 

पूरे प्रदेश में लागू किया गया पायलट प्रोजेक्ट

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में उद्यानिकी के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं।

उद्यानिकी फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये सूक्ष्म सिंचाई एवं सेंसर बेस्ड ऑटोमेशन फर्टीगेशन सिस्टम पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में संपूर्ण प्रदेश में लागू किया गया है।

इसकी सफलता पर उद्यानिकी के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित होंगे। उन्होंने कहा कि योजना के संबंध में लगातार फीडबैक प्राप्त कर परियोजना में आवश्यक सुधार किये जाएंगे।

आयुक्त उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण प्रीति मैथिल ने कहा कि यह तकनीक आधुनिक बागवानी खेती के लिए अत्यंत लाभकारी है।

इस तकनीक का उपयोग अनेक देशों में किया जा रहा है। इसके बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। इसके लिए प्रदेश के किसानों को जागरूक बनाया जाएगा।

विशेषज्ञ एमडी डैनी तथा वैज्ञानिक डॉ. योगेश राजवाड़े ने उद्यानिकी फसलों में सूक्ष्म सिंचाई, फर्टीगेशन प्रणाली एवं उनके घटकों के बारे में तथा उर्वरक अनुप्रयोग किये जाने वाले सेंसरों के प्रकार के बारे में विस्तार से बताया।

कार्यशाला में सेंसर आधारित फर्टीगेशन सिस्टम की विभिन्न निर्माता कंपनियों द्वारा सजीव प्रदर्शन भी किया गया।

कार्यशाला में विभागीय अमले के साथ प्रगतिशील किसान और ऑटोमेशन कंपनियों के विशेषज्ञ शामिल हुए।

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