हमारा कपास भारी… महाराष्ट्र व गुजरात से 6 मिमी तक मोटा रेशा
पीएम आज धार से महिलाओं और बच्चों को देंगे सेहत और पोषण का सबसे बड़ा तोहफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को अपना जन्मदिन धार में मनाएंगे। इस अवसर पर वे देश को सेहत और पोषण का सबसे बड़ा तोहफा देंगे।
वे ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ और ‘8वां राष्ट्रीय पोषण माह’ अभियान की शुरुआत करेंगे। इसके अलावा पीएम मित्र पार्क समेत कई नई योजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे।
‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ अभियान…
गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य और पोषण, किशोरी और बच्चों की देखभाल। महिलाओं के लिए योग, आयुर्वेद और जीवनशैली संबंधी जागरूकता लाई जाएगी।
महिला-केन्द्रित हेल्थ सर्विसेज जैसे स्क्रीनिंग, इलाज, टीकाकरण ‘8वां राष्ट्रीय पोषण माह’ महिला-बच्चों के लिए पोषण शिविर लगेंगे। खून की कमी, एनीमिया, सिकल सेल जैसी बीमारियों की जांच और इलाज होगा।
प्रधानमंत्री धार जिले के भैंसोला गांव में देश के पहले पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क का भूमिपूजन करेंगे।
यह सिर्फ एक औद्योगिक प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि मध्यप्रदेश के कपास किसानों, खासकर मालवा-निमाड़ और आदिवासी अंचल के लिए नई उम्मीद है।
इस पार्क से कपास उत्पादन, व्यापार और निर्यात से जुड़े किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों को बड़ा लाभ मिलेगा।
अभी मध्यप्रदेश से सालाना 7 हजार करोड़ रुपए का कपड़ा और गारमेंट निर्यात होता है।
पार्क में 27 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव हैं और एक्सपर्ट मान रहे हैं कि पूरी क्षमता से चलने पर निर्यात लगभग 13-14 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है।
मध्यप्रदेश का कपास मात्रा में महाराष्ट्र-गुजरात से कम है, पर इसकी क्वालिटी बेहतरीन है। महाराष्ट्र में 26 से 28 मिमी तो गुजरात में 24 से 27 मिमी लेंथ का रेशा निकलता है।
वहीं मप्र का रेशा औसतन 30 मिमी लंबा होता है, जो फाइन धागा बनाने के लिए आदर्श है।
अमेरिका और यूरोप में हमारे कपास की मांग पंजाब-हरियाणा के कपास से अधिक है। इसी कपास से बने तौलिये, चद्दर और रेडीमेड कपड़े विदेशों में पसंद किए जाते हैं।
अभी प्रदेश को एक सीजन में 10 लाख गांठें गुजरात-महाराष्ट्र से लानी पड़ती है। बाहर भेजकर प्रोसेसिंग कराना और फिर तैयार माल वापस मंगाना महंगा पड़ता है।
इसमें ट्रांसपोर्टेशन, ब्याज और वेस्टेज बढ़ जाता है, जिससे व्यापारी पर बोझ बढ़ता है और किसानों को सही दाम नहीं मिल पाता।
पीएम मित्र पार्क से यह समस्या हल होगी। अब कपास की प्रोसेसिंग, गारमेंट निर्माण और एक्सपोर्ट सब कुछ यहीं होगा।
इससे लॉजिस्टिक लागत घटेगी, समय बचेगा और किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में मध्यप्रदेश की पकड़ और मजबूत होगी।
60 लाख किसान कपास की खेती से जुड़े
अभी मप्र में कपास का कितना उत्पादन है?
- मप्र में इस साल कपास का एरिया कुल 5.83 लाख हेक्टेयर है। 2024 में यह 5.37 लाख हेक्टेयर था।
- कपास उत्पादन लगातार गिर रहा है। 2022-23 से 2024-25 तक इसमें 36% की कमी आई है।
प्रदेश की कपड़ा इंडस्ट्री कैसी है?
मप्र में 60 बड़ी कपड़ा मिलें हैं। इंदौर रेडिमेड गारमेंट क्लस्टर में 1200 से अधिक इकाइयां काम कर रही हैं।
खरगोन, धार, बुरहानपुर, बड़वानी, खंडवा, झाबुआ के 60 लाख किसान इस खेती से जुड़े हैं।
मप्र को क्या फायदा होगा?
अर्थशास्त्री प्रो. जयंतीलाल भंडारी के मुताबिक, इस पार्क से मेक इन इंडिया का सपना भी साकार होगा।
प्रदेश ऑर्गेनिक कपास उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात बढ़ेगा, विशेषकर यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे बाजारों में।
कपास किसानो के लिए खुशखबरी : MSP पर बेचने के लिए शुरू होगा पंजीयन

