भावांतर योजना में इन 7 जिलों के किसानों ने कराया सबसे अधिक पंजीयन

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मुख्यमंत्री ने दिए यह निर्देश

भावांतर योजना में 9.36 लाख किसानों ने पंजीयन करवाया है। जिसमें सात जिले उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर, देवास, सीहोर, विदिशा और सागर ऐसे हैं जहां 50-50 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में किसानों से सोयाबीन खरीदी के लिए लागू की गई भावांतर योजना के संबंध में 21 अक्टूबर 2025 के दिन मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों के हित में भावांतर योजना प्रारंभ की गई है। प्रदेश में तीन गुना से अधिक पंजीयन योजना में हुए हैं।

कुल 9.36 लाख किसानों ने पंजीयन करवाया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि योजना की संपूर्ण प्रक्रिया में किसानों को कोई असुविधा न हो, यह सुनिश्चित किया जाए।

  • बैठक में बताया गया कि भावांतर योजना में प्रदेश में सात जिले
  • उज्जैन,
  • राजगढ़,
  • शाजापुर,
  • देवास,
  • सीहोर,
  • विदिशा और
  • सागर ऐसे हैं जहां 50-50 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया है।
  • इसी तरह 21 जिलों से 10-10 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया है।

 

किसानों को भुगतान के संबंध में भेजा जाए एसएमएस

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलों में किसानों को मंडियों और उप-मंडियों में सोयाबीन विक्रय के लिए आवश्यक तैयारियां पूर्ण की जाएं।

योजना से संबंधित सभी आवश्यक जानकारियां किसानों को प्रदान की जाएं। इस माह किए गए योजना के प्रचार का ही अच्छा परिणाम है कि बड़ी संख्या में पंजीयन हुए हैं।

ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से किसानों के पंजीकृत बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भावांतर राशि का भुगतान निर्धारित अवधि में किया जाए, साथ ही भुगतान के संबंध में किसान को एसएमएस के माध्यम से सूचना दी जाए।

 

प्रत्येक मंडी में बनाई गई है हेल्प डेस्क

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 24 अक्टूबर से 15 जनवरी 2026 तक सोयाबीन की विक्रय अवधि रहेगी।

ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन के बाद मंडी पोर्टल में ई-मंडी पोर्टल पर सभी कार्य इलेक्ट्रानिक माध्यम से किए गए हैं।

सभी मंडियों और उप मंडियों में तकनीकी एवं मानव संसाधन की व्यवस्था की गई है। मंडी स्तरीय कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी हुआ है।

प्रवेश गेट और प्रांगण की सीसीटीवी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक मंडी में हेल्प डेक्स भी बनाई गई है।

कलेक्टर्स और कमिश्नर्स के साथ ही कृषि सचिव द्वारा बैठकों में भावांतर योजना के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

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