अनुदान पर उपलब्ध करवा रहा कृषि अभियांत्रिकी विभाग
धान की कटाई के बाद खेतों में बची नरवाई को हटाना किसानों के लिए चुनौती भरा काम है।
पराली जलाने से जहां मिट्टी की उर्वरता कम होती है, वहीं पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। किसानों पर प्रशासनिक कार्रवाई भी की जा रही है।
इन समस्याओं से निपटने के लिए अब मंडला जिले में कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने किसानों को छोटी बेलर मशीन के रूप में समाधान उपलब्ध कराया है।
यह मशीन खेत में बची नरवाई को एकत्रित कर उसका उपयोगी संसाधन बना देती है।
ग्राम अलीपुर विकासखंड नैनपुर के किसान तुलसीराम ठाकुर के खेत में इस मशीन का लाइव प्रदर्शन कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा किया गया।
खासियत
सहायक कृषि यंत्री प्रियंका मेश्राम ने बताया कि यह मशीन खेत में पड़ी नरवाई या पैरा को एकत्रित कर उसे बेल (गठरी) के रूप में पैक कर देती है।
इस प्रकार खेत साफ रहता है और अवशेष को अन्य उपयोगों के लिए आसानी से ले जाया जा सकता है।
किसानों को मिलेंगे फायदे
नरवाई प्रबंधन मेंसरलता: खेत में पड़ी फसल अवशेष को जलाने की आवश्यकता नहीं रहती।
मिट्टी की उर्वरा शक्तिबनी रहती है: आग से मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणु नष्ट नहीं होते।
अतिरिक्त आमदनी: एकत्रित पैरा का उपयोग पशु चारा, ईंधन या उद्योगों में कच्चे माल के रूपमें किया जा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण: पराली जलाने से निकलने वाली हानिकारक गैसों से मुक्ति।
मशीन की कीमत लगभग 4.50 लाख है। इस पर अधिकतम 2.10 लाख तक का अनुदान कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा पोर्टल के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है।
संपर्क- farmer.mpdage.org

