जल संसाधन मंत्री ने दिए निर्देश
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि 15 नवंबर से रबी फसलों की सिंचाई के लिए नहरों में पानी छोड़ा जाएगा।
इसके लिए उन्होंने हर किसान के खेत तक पानी पहुँचाने, बाँध सुरक्षा, नहरों आदि की मरम्मत आदि को लेकर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।
रबी फसलों की बुआई का समय हो गया है, ऐसे में किसानों को समय पर सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने 10 नवंबर के दिन विभागीय अधिकारियों को साथ बैठक आयोजित की।
बैठक में जल संसाधन मंत्री ने कहा कि किसानों को रबी की फसलों की सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी मिले, यह सुनिश्चित किया जाये। प्रदेश में रबी फसलों के लिये आगामी 15 नवम्बर से पानी छोड़ा जायेगा।
उन्होंने निर्देश दिए कि पानी छोड़ने से पहले जल-स्रोतों, नहरों आदि की मरम्मत का कार्य अनिवार्य रूप से पूरा कर लिया जाये, जिससे डाउन स्ट्रीम के हर किसान के खेत तक पानी पहुँच सके।
उन्होंने कहा कि इस बार प्रदेश के जलाशयों में जल-भराव की स्थिति बहुत अच्छी है। प्रदेश के प्रमुख 286 जलाशयों में औसत जल-भराव 97 प्रतिशत है।
किसानों को सिंचाई कर में दी गई है छूट
बैठक में जल संसाधन मंत्री ने निर्देश दिये कि जल-संरचनाओं में वर्षा उपरांत किये जाने वाले कार्य बाँधों के स्लूस गेटों एवं सेंट्रल स्पिलवे के गेटों का संचालन, नहरों पर आवागमन के लिये बनाये गये रास्तों का सुधार, नहरों पर बनाये गये ऐस्केप को बंद करना आदि सुनिश्चित करें।
क्षतिग्रस्त जल-स्रोतों की मरम्मत, गाद की सफाई और नहरों पर बने स्ट्रक्चर- पुलिया, फॉल, साइफन, एक्वाडक्ट आदि की सफाई और मरम्मत कराई जाये।
उन्होंने कहा कि रबी फसल के लिये पानी छोड़े जाने के संबंध में जिला जल उपभोक्ता समितियों की बैठकें आयोजित की जायें और इस संबंध में जनता एवं जन-प्रतिनिधियों से संवाद किया जाये।
किसानों को राज्य सरकार की सिंचाई कर पर ब्याज दर में छूट योजना का पूरा लाभ दिया जाये।
बेसिन में जल-भराव की स्थिति
प्रदेश में इस बार अच्छी बारिश के चलते सभी 10 बेसिन में जल-भराव की स्थिति बहुत अच्छी है।
नर्मदा बेसिन में सर्वाधिक 99.83 प्रतिशत, माही बेसिन में 98.67 प्रतिशत, बेतवा बेसिन में 97.99 प्रतिशत, सिंध बेसिन में 97.63 प्रतिशत, गंगा बेसिन में 97.19 प्रतिशत, चंबल बेसिन में 95.97 प्रतिशत, वेनगंगा बेसिन में 95.48 प्रतिशत, यमुना बेसिन में 95 प्रतिशत, ताप्ती बेसिन में 89.23 प्रतिशत और धसान बेसिन में 86.60 प्रतिशत जल-भराव हुआ है।
