गन्ना वाले इथेनॉल प्लांट में सरकार का बड़ा बदलाव, जाने कितना मिलेगा चीनी मिलों को लोन और ब्याज पर छूट

गन्ना वाले इथेनॉल प्लांट में सरकार का बड़ा बदलाव, जाने कितना मिलेगा चीनी मिलों को लोन और ब्याज पर छूट,भारत में गन्ना पेराई का मौसम साल में केवल 4-5 महीने होता है, जिससे चीनी मिलों को पूरे साल संचालन में कठिनाई होती है। इस कारण इन मिलों की उत्पादन क्षमता में कमी आ जाती है और उनका संचालन सीमित समय तक ही चलता है। हालांकि, अब सरकार ने एक नई योजना की घोषणा की है, जिसके तहत सहकारी चीनी मिलें अपने मौजूदा गन्ना आधारित इथेनॉल प्लांट्स को मक्का और डैमेज खाद्यान्न (DFG) जैसे अनाज का उपयोग करने के लिए बदल सकेंगी। इस बदलाव से इन मिलों का उत्पादन बढ़ेगा और इथेनॉल उत्पादन में भी सुधार होगा।

इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना में बदलाव 

भारत सरकार ने सहकारी चीनी मिलों के लिए संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना (Ethanol Interest Subvention Scheme) लागू की है। इस योजना के अंतर्गत, सहकारी चीनी मिलें अपने मौजूदा गन्ना आधारित इथेनॉल प्लांट्स को मल्टी-फीडस्टॉक आधारित प्लांट्स में बदल सकेंगी। यानी अब इन मिलों को गन्ने के अलावा मक्का और अन्य अनाजों का भी उपयोग करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे पूरे साल इथेनॉल उत्पादन कर सकेंगी।

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यह योजना सरकार की तरफ से एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे सहकारी चीनी मिलों को न केवल उच्च उत्पादन क्षमता प्राप्त होगी, बल्कि उनकी आय भी बढ़ेगी। साथ ही, सरकार ने इन योजनाओं के तहत बैंकों या वित्तीय संस्थानों से लिए गए लोन पर 6% की ब्याज दर या बैंक की ब्याज दर का 50% (जो भी कम हो) की छूट देने का निर्णय लिया है। इस ब्याज अनुदान का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी, जो एक साल की स्थगन अवधि (मोरेटोरियम) सहित पांच वर्षों तक चलेगा।

सहकारी चीनी मिलों के लिए फायदे 

चूंकि गन्ना पेराई की अवधि केवल 4-5 महीने होती है, इससे चीनी मिलों को पूरे साल ऑपरेशनल बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। इस समस्या का समाधान अब सरकार के नए कदम से संभव हो सकेगा। जब सहकारी चीनी मिलों के इथेनॉल प्लांट्स में मक्का और डैमेज खाद्यान्न (DFG) जैसे अनाज का उपयोग होगा, तो ये मिलें पूरे साल काम कर पाएंगी, जिससे उनके उत्पादन में वृद्धि होगी।

मल्टी-फीडस्टॉक आधारित प्लांट्स का निर्माण इन मिलों की उत्पादकता को बढ़ाएगा, जिससे इनकी कमाई में भी वृद्धि होगी। जब तक गन्ना उपलब्ध नहीं होगा, तब तक अन्य अनाजों से इथेनॉल का उत्पादन जारी रहेगा। इस बदलाव से चीनी मिलों को न केवल गन्ने पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वे अन्य कृषि उत्पादों का भी उपयोग कर सकेंगी, जिससे उनके संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल होगा।

इथेनॉल ब्लेंडिंग का महत्व और सरकार का उद्देश्य

भारत सरकार का इथेनॉल ब्लेंडिंग (EPB) कार्यक्रम पेट्रोल के साथ इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाने पर केंद्रित है। सरकार का उद्देश्य 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करना है। इससे न केवल पेट्रोल की कीमतों में कमी आएगी, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत किया जा सकेगा।

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इथेनॉल ब्लेंडिंग के बढ़ते उपयोग से गन्ने और अन्य कृषि उत्पादों के लिए एक नया बाजार खुलेगा। साथ ही, इससे देश की प्रदूषण कम करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा, क्योंकि इथेनॉल एक स्वच्छ ईंधन है जो पर्यावरण पर कम नकारात्मक प्रभाव डालता है।

सरकार ने पहले ही जुलाई 2018 से अप्रैल 2022 तक विभिन्न इथेनॉल ब्याज छूट योजनाओं को लागू किया है, और अब ब्याज में छूट देकर इस योजना का विस्तार किया है। इस कदम से इथेनॉल उत्पादन को और भी बढ़ावा मिलेगा और चीनी मिलों को अधिक लाभ होगा।

सहकारी चीनी मिलों के लिए लंबी अवधि तक संचालन का

सहकारी चीनी मिलों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है क्योंकि वे अब पूरे साल इथेनॉल उत्पादन कर सकेंगी। गन्ना आधारित इथेनॉल प्लांट्स को मल्टी-फीडस्टॉक प्लांट्स में बदलने से उन्हें न केवल नए अवसर मिलेंगे, बल्कि वे अपने उत्पादों का अधिकतम उपयोग कर सकेंगी। इसके परिणामस्वरूप मिलों की उत्पादकता में सुधार होगा, और वे प्रतिस्पर्धी बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकेंगी।

सरकार का समर्थन और कृषि आधारित उद्योग का भविष्य

भारत सरकार का यह कदम कृषि आधारित उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित होगा। सहकारी चीनी मिलों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से मिले लोन पर ब्याज छूट देने से उनका वित्तीय बोझ हल्का होगा, और वे अपने प्लांट्स को और अधिक प्रभावी तरीके से चला सकेंगी। यह योजना न केवल चीनी मिलों के लिए, बल्कि कृषि क्षेत्र के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव है, क्योंकि इससे किसानों को भी फायदा होगा।
सरकार की यह नई योजना सहकारी चीनी मिलों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आई है। इथेनॉल प्लांट्स को मल्टी-फीडस्टॉक आधारित बनाने से मिलों की उत्पादकता बढ़ेगी और वे पूरे साल संचालन कर सकेंगी। इससे न केवल चीनी मिलों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि सरकार के इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के लक्ष्य को भी हासिल करने में मदद मिलेगी। इस योजना के तहत ब्याज अनुदान और लोन पर छूट से मिलों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता, उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी।

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