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“किसानों की बात – मुख्यमंत्री के साथ”

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों से किया संवाद

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 22 सितम्बर को आकाशवाणी के कार्यक्रम में किसानों से संवाद कर उनके सवालों के जवाब भी दिए।

 

सवाल – श्रीमती साधना पटेल ग्राम खैरा (जबलपुर) – कृषि विधेयक जो संसद में पास हुआ है, हमें इसकी जरूरत क्यों पड़ी ?

मुख्यमंत्री जी का जवाब – प्रधानमंत्री श्री मोदी किसानों की आय दुगनी करने के लिए चिंतित हैं। वे किसान हितैषी हैं। मण्डी में उपज नीलाम होती है। किसान सब्जी देकर जाता है तो उसे कमीशन भी देना होता है। नए कृषि बिल से किसान के घर से व्यापारी फसल खरीद सकता है। खेत से जाकर भी खरीद सकता है। ठीक दाम न मिले तो किसान का यह अधिकार है कि वह अन्य माध्यमों से फसल बेचे। किसान को विकल्प दिया गया है। इससे वो आने-जाने की झंझटों से भी बचेगा।

 

सवाल – श्री कृष्ण कटारे, ग्राम कल्याणपुरा (भिण्ड) – इस कृषि विधेयक से हम किसान भाईयों को क्या फायदा होगा ?

मुख्यमंत्री जी का जवाब – कृषि विधेयक से आपको फायदा ही फायदा है। हानि कोई नहीं है। यह बिल किसान को सुविधा प्रदान करता है। आप पूरी तरह निश्चिंत रहे।

 

सवाल – श्री रामजीवन मीणा, ग्राम शाहपुर (भोपाल) – भाईसाहब, गांव में ऐसी चर्चा है कि इस विधेयक के आने से मंडियां बंद हो जाएंगी। क्या ये सही है ?

मुख्यमंत्री जी का जवाब – मीणा जी कृषि उपज मंडी बंद नहीं होंगी। आप निश्चिंत रहें। हम अधोसंरचना को बेहतर बनाएंगे। व्यवस्थाएं और सटीक बनेंगी। कोई बेरोजगार नहीं होगा। एक लायसेंस से किसान को अधिकतम सुविधा मिलेगी। सुरक्षा निधि जरूर जमा कराई जाएगी। किसान को भुगतान भी तत्काल प्राप्त होगा। किसान के साथ प्रावधान के विपरीत जाकर कार्य करने वाले के लिए दण्ड की व्यवस्था भी की गई है।

 

सवाल – श्री किशोर दांगी, ग्राम बोलिया (मंदसौर ) – मुख्यमंत्रीजी इस बिल के आने के बाद क्या किसान मंडियों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे ?

मुख्यमंत्री जी का जवाब – न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी रहेगी। आप सभी से कह दें कि यह व्यवस्था पहले की तरह रहेगी। केन्द्र सरकार ने कल ही गेहूं के समर्थन मूल्य की घोषणा की है। गेहूं 1925 की जगह 1975 रूपये प्रति क्विंटल, धान 1815 के स्थान पर 1868, मसूर 4800 के स्थान पर 5100, उड़द 5700 के स्थान पर 6000 रूपए पर ली जाएगी। अन्य फसलों के समर्थन मूल्य में भी वृद्धि हुई है। इनमें मूंग 7050 के स्थान पर 7196, अरहर 5800 के स्थान पर 6000, सरसों 4425 के स्थान पर 4650, चना 4875 के स्थान पर 5100, मूंगफली 5090 के स्थान पर 5275 और मक्का 1760 के स्थान पर 1850 प्रति क्विंटल खरीदी जाएगा।

 

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सवाल – श्री रमाकांत कुशवाह, ग्राम रेहड़ा (रीवा) – मुख्यमंत्री जी इस विधेयक से किसान भाईयों को अनाज का सही दाम नहीं मिल पाएगा? और किसान की उपज के भुगतान में भी समस्याएं आएंगी?

मुख्यमंत्री जी का जवाब – जो कानून बने हैं वे किसान को सही दाम दिलवाएंगे। किसान घर बैठे या खेत पर मौजूद रहकर फसल दे रहा है तो उसे यह सुविधा मिलेगी। उपज की कीमत के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। यह सब व्यवस्थाएं किसान को उत्पादन का ठीक दाम देने के लिए ही की गई हैं।

 

सवाल – श्री हरिनारायण परमार, ग्राम कुसमानिया (देवास) – भाईसाहब कुछ लोग किसानों के बीच यह बता रहें हैं कि इस विधेयक से किसानों को नहीं बल्कि खेती किसानों से जुड़ी बड़ी-बड़ी कंपनियों को फायदा होगा। विवाद भी होंगे। क्या यह सच्चाई है?

मुख्यमंत्री जी का जवाब – किसान को हम बताना चाहते हैं कि उन्हें किसी विवाद का सामना नहीं करना पड़ेगा। कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाने होंगे। कोई विवाद होता भी है तो स्थानीय स्तर पर समाधान हो जाएगा। किसान की मर्जी है वह जिस दर पर फसल बेचने के लिए करार करता है और उस दर से अधिक दर हो जाती है तो किसान को अधिक दर मिलेगी। लेकिन यदि बाजार में करार की राशि से कम पर फसल लेने की स्थिति होती है तो किसान को कम कीमत पर देने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा। कई बार यह होता है कि बाजार में भाव गिर जाते हैं। लेकिन किसान को पूरी कीमत मिलेगी। किसान के हित को प्राथमिकता दी गई है और उसके लिए पर्याप्त सुरक्षा की गई है। किसानों को फसल ले जाने से मुक्ति मिलेगी तो भाड़ा भी बचेगा। तीन दिन में आर.टी.जी.एस. से भुगतान होगा। एफपीओ भी करार कर सकेंगे।

 

सवाल – श्री शिवदयाल पटेल, ग्राम – गंज (छतरपुर) – भाईसाहब इस विधेयक से छोटे किसान जो बटाई प्रथा से खेती करते हैं उन्हें परेशानी तो नहीं होगी?

मुख्यमंत्री जी का जवाब – शिवदयाल जी आप चिंता न करें। आपका नुकसान नहीं होगा। बटाईदार का भी कोई नुकसान नहीं होगा। देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं। यह समूह किसानों को बाजार में उचित मूल्य दिलाने का कार्य करेंगे।

 

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