कृषि विभाग ने किसानों को दी रेज्‍ड बेड विधि से मक्का लगाने की सलाह

खरीफ फसलों की बुआई का समय नजदीक आते ही किसानों के साथ ही कृषि विभाग तैयारियों में जुट गया है। ऐसे में किसान फसलों का उत्पादन बढ़ाकर अपनी आमदनी बढ़ा सके इसके लिए किसानों को कृषि विभाग द्वारा सलाह जारी की जा रही है।

इस कड़ी में एमपी के सिवनी जिले के उपसंचालक कृषि मोरिश नाथ ने बताया कि इस बार कलेक्टर ने किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग सिवनी द्वारा मैदानी अमले को रेज्‍ड बेड पर मक्का लगाने के निर्देश दिये हैं,

क्योंकि पिछले वर्ष अधिक वर्षा होने के कारण किसानों को मक्के की फसल में काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था।

 

मक्का लगाने की विधि

किसानों की मक्के फसल में अधिक वर्षा के कारण क्षति को कम करने हेतु किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को रेज्ड बेड पर मक्का लगाने की सलाह दी जा रही है।

इस वर्ष खरीफ सीजन शुरू होने के पहले ही रेज्ज बेड पर मक्का लगाने की रेजर एवं रेज़्ड कम प्लान्टर की मांग बढ़ी है।

 

रेज्‍ड बेड प्लांटर की बढ़ी माँग

जिले के कृषि यंत्र डीलर विशाल ट्रेडर्स लूघरवाड़ा सिवनी द्वारा बताया गया कि लगभग 1000 रेजर किसानों को विक्रय किया जा चुके है एवं कृषकों की मांग निरन्तर बनी हुई है।

इसी प्रकार सुनील कृषि यंत्र सिवनी द्वारा बताया गया कि लगभग 150 रेज्‍ड बेड प्लांटर विक्रय किये जा चुके है एवं कृषक लगातार यंत्र की मांग कर रहे है।

जिले में लगभग 1500 रेज्‍ड एवं रेज्‍ड कम प्लान्टर की बिक्री हो चुकी है एवं किसानों द्वारा लगातार मांग की जा रही है।

जिला कलेक्टर क्षितिज सिंघल और उपसंचालक कृषि द्वारा किसानों से अपील की गई है कि किसान मक्के की फसल को रेज बेड पर लगाये एवं यंत्र की उपलब्धता अनुसार यंत्र को क्रय करें या अन्य कृषकों से किराये पर लेकर मक्के को रेज बेड पर लगाये,

ताकि मक्का फसल सुरक्षित रहे एवं किसानों को मक्का का अधिक उत्पादन प्राप्त हो सकें।

 

क्या है रेज्‍ड बेड प्लांटर मशीन

रेज्‍ड बेड प्लांटर को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर चलाया जाता है। इसकी सहायता से एक ही समय में मेड़ और गहरी नाली बनाई जा सकती है। इसमें मेड़ पर बीजों की बुवाई की जाती है।

अधिक बारिश होने से फसल को नुकसान नहीं होता है क्योंकि पानी नालियों के जरिये बाहर निकल जाता है।

वहीं कम बारिश होने पर नालियों से मेड़ में नमी बनी रहती है जिससे अतिवृष्टि और कम बारिश से फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।

इस विधि से मक्के की बुवाई करने पर किसान बीज, खाद व पानी की बचत के साथ ही बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं साथ ही मानसून की अनिश्चितता के असर को कम किया जा सकता है।

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