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अजोला को कहते हैं पशुओं का च्यवनप्राश, पशु देंगे 25 प्रतिशत तक ज़्यादा दूध

हरा चारा सालभर उपलब्ध नहीं रहता और कई पशुपालक महंगा पशु आहार खिलाने में भी समर्थ नहीं होते।

केवल सूखा चारा खाने से पशुओं को पूर्ण पोषण नहीं मिलता और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं और उनके दूध देने की क्षमता भी घट जाती है।

दुधारू पशुओं को प्रतिदिन दो किलो तक पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है,

अगर पशुपालक सूखा चारा जैसे धान का पैरा, गेहूं का भूसा, आदि के साथ पशुओं को अजोला खिलाएं तो उनकी पोषण की जरूरत पूरी की जा सकती है।

 

पशुओं का च्यवनप्राश अजोला

अगर पशुपालक चाहें तो पशुओं को सालभर हरा आहार अजोला खिलाकर स्वस्थ रखने के साथ ही 20 से 25 प्रतिशत अधिक दूध भी ले सकेंगे।

अजोला को उगाने में ज्यादा राशि भी खर्च नहीं करनी पड़ेगी।

अजोला की खेती कर किसान भाई अपने मवेशियों के लिए पौष्टिक चारे के साथ साथ अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।

 

अजोला क्या है, क्यों कहते हैं इसे पशुओं का च्यवनप्राश?

अजोला एक अति पोषक छोटा जलीय फर्न (पौधा) है, जो स्थिर पानी में ऊपर तैरता रहता है।

एजोला को घर में हौदी बनाकर, तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में कही भी उगाया जा सकता है।

किसान इसको टबों और ड्रमों में भी उगा सकते हैं। यह पौधा पानी में विकसित होकर मोटी हरी चटाई की तरह दिखने लगती है।

  • इसका उपयोग पशु आहार के रूप में गाय, भैंस,बकरी, भेड़, शूकर, मछली और मुर्गियों आदि के लिए किया जाता है।
  • इसमें प्रोटीन, एमिनो एसिड, विटामिन व खनिज लवण की मात्रा अधिक होती है।
  • आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा-कैरोटीन) साथ ही यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, मैग्नेशियम जैसे खनिज लवणों से भरपूर होता है।
  • अजोला एक बेहतरीन पूरक पोषण आहार है जो मवेशियों को अच्छा पोषण देने के साथ साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
  • इसके पोषक गुणों के कारण इसे पशुओं का च्यवनप्राश भी कहा जाता है।

 

आसानी से पचने वाला आहार है अजोला

अजोला पशुओं के लिए हाई प्रोटीन और लो लिग्निन वाला आहार है। जिसे पशु आसानी से पचा सकते हैं।

इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। इसे पशुओं के आहार में शामिल करने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

पशु कम बीमार पड़ते हैं जिससे पशुपालकों पर आर्थिक भार भी कम होता है।

पशुओं को प्रतिदिन आहार के साथ अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि के साथ-साथ दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है।

मुर्गियों को आहार के साथ प्रतदिन अजोला खिलाने से उनके शारीरिक वजन तथा अंडा उत्पादन क्षमता में वृद्धि आंकी गई है।

 

एक बेहतरीन जैविक खाद भी है अजोला

अजोला कम कीमत पर उपलब्ध एक बेहतरीन जैविक खाद है।

अजोला की पंखुडि़यो में एनाबिना नामक नील हरित शैवाल पाया जाता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है।

अजोला में नाइट्रोजन की मात्रा 3 से 4 प्रतिशत होती है, साथ ही इसमें कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।

इसे खाद के रूप में उपयोग करने से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

अजोला हानिकारिक रासायनिक उर्वरकों का एक बेहतरीन विकल्प है। जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में मददगार है।

इस खाद के इस्तमाल से उच्च गुणवत्ता के खाद्य पदार्थों की पैदावार ली जा सकती है जिससे सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।

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