4 साल में 3 लाख की कमाई देती है बांस की खेती

बांस की खेती भी किसानों के लिए आर्थिक लाभ का बड़ा जरिया है. बांस की खेती किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है.

इस खेती में किसानों को कम लागत आती है. इससे लंबे समय तक लगातार आमदनी होती है. साथ ही रख-रखाव का खर्च भी कम आता है..

मौजूदा समय में किसान तेजी से बांस की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और रोजगार पैदा करने में बांस की खेती महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

बांस की खेती के महत्व के कारण इसे हरा सोना कहा जाता है. बांस घास परिवार का एक पौधा है जो तेजी से बढ़ता है.

यह भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाता है. बांस की खेती कहीं भी की जा सकती है.

यह अलग जलवायु और परिस्थितियों में आसानी से बढ़ सकता है. बांस की फसल से लगभग 40 साल तक बांस की पैदावार होती रहती है.

यही कारण है की बांस की नर्सरी के लिए सरकार सब्सिडी दे रही है. अगर आप भी बांस की खेती कर लाभ उठाना चाहते हैं तो ऐसे करें आवेदन.

 

नर्सरी के लिए सरकारी सब्सिडी का भी उठा सकते हैं लाभ

वहीं दूसरी ओर बांस की खेती भी किसानों के लिए आर्थिक लाभ का बड़ा जरिया है. बांस की खेती किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है. इस खेती में किसानों को कम लागत आती है.

इससे लंबे समय तक लगातार आमदनी होती है. साथ ही रख-रखाव का खर्च भी कम आता है. किसान आसानी से बांस की कटाई कर उसे बेच सकते हैं.

इसे हर साल दोबारा लगाने की जरूरत नहीं होती. बाजार में बांस की मांग के कारण यह किसानों के लिए आय का सरल जरिया है.

 

खेत की तैयारी कैसे करें

बांस की खेती के लिए, रोपण से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लेनी चाहिए और मिट्टी को भुरभुरा और समतल कर लेना चाहिए.

उचित जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए और खेत को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए.

उसके बाद, आवश्यकतानुसार खेत में उचित आकार के गड्ढे खोदने चाहिए.

 

बुवाई का समय और तरीका

बांस की खेती के लिए कटाई का समय जुलाई के महीने में होता है. नर्सरी बीज के माध्यम से तैयार की जाती है और बुवाई प्रकंदों के माध्यम से की जाती है.

 

पोषण की जरूरत

बांस के पौधों को बढ़ने के लिए विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता नहीं होती है. हालांकि, उचित विकास के लिए खेत की तैयारी के समय मिट्टी में वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद मिलाई जा सकती है.

 

बांस की खेती के लिए सब्सिडी 

बांस की खेती के लिए सरकार सरकारी नर्सरी से पौधे मुफ्त में मुहैया कराएगी. तीन साल में प्रत्येक पौधे की औसत कीमत 240 रुपये होगी.

इसमें से सरकार प्रति पौधा 120 रुपये देगी. यानी बांस की खेती पर सरकार किसानों को प्रति पौधा 120 रुपये की सहायता देती है.

3 साल में 1 बांस के पौधे की कीमत 240 रुपये आती है. यानी सरकार बांस की खेती में किसानों को आधी रकम सब्सिडी के तौर पर देती है.

 

बांस की खेती से होने वाले फायदे

अगर आप एक हेक्टेयर में 1500 से 2500 पौधे लगाते हैं और इन पौधों के बीच दूसरी फसलें उगाते हैं तो आपको 4 साल बाद 3 लाख रुपए तक की कमाई होने लगेगी.

बांस की खेती की खास बात यह है कि इसका पौधा करीब 40 साल तक चलता है, इसे बार-बार लगाने की जरूरत नहीं पड़ती. एक बार लगाने के बाद यह आपको कई सालों तक आमदनी दे सकता है.

इसके अलावा अगर आप खेत की बाउंड्री पर 4 x 4 मीटर पर दूसरी फसलों के साथ बांस लगाते हैं तो आपको चौथे साल से एक हेक्टेयर में करीब 30 हजार रुपए की कमाई होने लगेगी.

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