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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रमुख फसल हो सकती है बांस : केंद्रीय कृषि मंत्री

 

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 25 फरवरी को ‘भारत में बांस के लिए अवसर और चुनौतियों पर राष्ट्रीय परामर्श’  के उद्घाटन सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया.

बता दें, कि राष्ट्रीय बांस मिशन, नीति आयोग और इन्वेस्ट इंडिया ने बांस क्षेत्र से जुड़े दो दिवसीय मंथन को संयुक्त रूप से आयोजित किया

 

इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केन्द्र सरकार बांस क्षेत्र के विकास की दिशा में खासे प्रयास कर रही है, क्योंकि यह स्पष्ट है कि विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में किसानों की आय दोगुनी करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और लोगों की आजीविका में सुधार में यह फसल खासी अहम हो सकती है.

 

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कृषि मंत्री ने बांस की खेती को अपनाने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को प्रोत्साहित करने को एफपीओ के गठन पर भी जोर दिया, इसके लिए उन्होंने राज्यों से बांस क्षेत्र के लिए एफपीओ के गठन से जुड़े प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया.

 

‘राष्ट्रीय बांस मिशन’ की सराहना

अंकुरण के चरण में बांस की प्रजातियों और गुणवत्ता की पहचान करने में आने वाली मुश्किल को देखते हुए केन्द्रीय मंत्री ने नर्सरियों को मान्यता देने और पौधारोपण सामग्री के प्रमाणन के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए ‘राष्ट्रीय बांस मिशन’ की सराहना की है.

उन्होंने कहा, “राज्य फिलहाल नर्सरियों को मान्यता देने की प्रक्रिया में हैं और किसानों व उद्योग के मार्गदर्शन के लिए इनका ब्योरा सार्वजनिक कर दिया गया है, जहां वे अच्छी पौधारोपण सामग्री हासिल कर सकते हैं.”

 

बांस क्षेत्र की उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले तीन साल में व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण बांसों की पौध 15,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाई गई है.

किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधारोपण सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, ‘राष्ट्रीय बांस मिशन’ के अंतर्गत 329 नर्सरियों की स्थापना की गई थी. इसके अलावा राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत 79 बांस बाजार बनाए गए हैं.

 

बांस आधारित स्थानीय अर्थव्यवस्था के एक मॉडल की स्थापना के लिए इन गतिविधियों को पायलट परियोजनाओं के रूप में देखा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि मिशन से जुड़े कदमों के साथ सार्वजनिक और निजी उद्यमियों के तालमेल से किसानों व स्थानीय अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार के सरकार के प्रयासों को मजबूती मिलेगी.

 

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स्त्रोत : कृषि जागरण 

 

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