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पपीता व सब्जियों की खेती के लिए मिसाल बन रहे हेमलता व छगनलाल बिसेन

 

दस एकड़ में टमाटर तो पांच एकड़ में कर रहे करेला की खेती

 

जिले में परंपरागत रूप से धान की खेती की जाती है लेकिन धान की खेती लागत की तुलना में मुनाफा बहुत कम देती है। इस कारण यह घाटे का सौदा बन जाती है।

किसान परंपरा से हटकर नगदी फसलों पर ध्यान दे तो कम समय में अच्छी खासी आय अर्जित की जा सकती है। ऐसा ही कुछ बालाघाट तहसील के ग्राम सालेटेका की हेमलता व उनके पति छगनलाल बिसेन ने कर दिखाया है।

उनके द्वारा कृषि के क्षेत्र में लीक से हटकर किण् जा रहे कार्य अनुकरणीय व अन्य किसानों के लिए प्रेरणादायक है।

 

एक एकड़ खेत में की पपीता की खेती

हेमलता बिसेन ने अपने एक एकड़ खेत में इस वर्ष पपीते की खेती है और कम समय में ही उन्हें पांच से छह लाख रुपये तक की आय होने का अनुमान है। हेमलता के पति छगनलाल बिसेन ने बताया कि जिले के किसान रबी सीजन में भी धान की फसल लगाते है।

रबी के एकड़ धान में सिंचाई के लिए जितना पानी लगता है, उतने पानी से पांच एकड़ क्षेत्र में लगी सब्जियों व फलों की फसल की सिंचाई की जा सकती है। पानी का सदुपयोग करने व नगदी फसलों से कम समय में अधिक आय अर्जित करने के लिए उनके द्वारा पहली बार अपने एक एकड़ के खेत में पपीता की फसल लगाई गई है।

जनवरी 2021 से पपीता के फल बिकना प्रारंभ हो गए है। अब तक वे एक लाख रुपये से अधिक के पपीते बेच चुके है और पांच से छह लाख रुपये पपीता से आय होने का अनुमान है।

 

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दस एकड़ में टमाटर तो पांच एकड़ में करेला की खेती

छगनलाल बिसेन के द्वारा गत वर्ष दो एकड़ खेत में टमाटर की खेती की गई थी । इससे उन्हें पांच लाख रुपये की आय हुई थी। इससे प्रेरित होकर उनके द्वारा ग्राम सालेटेका व हट्टा में दस एकड़ क्षेत्र में टमाटर व पांच एकड़ में करेला की फसल लगाई गई है।

उन्होंने बताया कि हट्टा में सिहोरा रोड पर घिसर्री नदी कि किनारे जिले का यह सब्जी उत्पादन का सबसे बड़ा फार्म बनने जा रहा है। उनके द्वारा 90 हजार टमाटर के पौधे लगाये गए हैं और 25 हजार करेला के पौधे लगाए गए है।

टमाटर व करेला के पौधे पालीहाउस से मंगाए गए है। एक माह बाद उनके खेत से टमाटर व करेला निकलने लगेंगें और प्रतिदिन पांच लाख रुपये तक की बिक्री होने का अनुमान है।

 

कृषि सहायक संचालक ने किया निरीक्षण

उप संचालक कृषि सीआर गौर व सहायक संचालक उद्यान सीबी देशमुख ने सालेटेका व हट्टा के सब्जी फार्म का निरीक्षण किया है।

यहां पर उद्यान विभाग की योजना के अंतर्गत सब्जी फार्म में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाई गई है और उन्हें विभागीय अधिकारियों द्वारा सतत सलाह व मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

सहायक संचालक ने बताया कि जिले के युवा व किसान धान की परंपरागत खेती के स्थान पर सब्जियों की खेती करने लगेंगें तो निश्चित रूप से उन्हें कम समय में अधिक लाभ होगा और पानी का भी सदुपयोग हो सकेगा।

 

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source : naidunia

 

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