अदरक एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है. अदरक में कैल्शियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, जिंक और विटामिन सी समेत कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं. अदरक का उपयोग औषोधिक दवाई के रूप में भी किया जाता है.
200 क्विंटल तक का उत्पादन
भारत के लगभग सभी रसोई घरों में अदरक का उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता है. अदरक एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है.
अदरक में कैल्शियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, जिंक और विटामिन सी समेत कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं. अदरक का उपयोग औषोधिक दवाई के रूप में भी किया जाता है.
बाजार में अदरक से बनी सोंठ का भाव इससे ज्यादा होता है. भारतीय मार्केट में साल भर अदरक की मांग रहती है, जिससे किसान इसकी खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
Adrak ki Kheti के लिए सबसे अच्छी बलुई दोमट मिट्टी को माना जाता है, इस मिट्टी में इसकी फसल का अच्छा विकास होता है और किसानों को अधिक पैदावार प्राप्त होती है.
मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच अच्छा माना जाता है. अदरक के पौधें के लए 25 से 35 सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है.
इसके पौधों को अच्छी नमी और सही सिंचाई की आवश्यकता होती है. अदरक को बोने का काम मार्च-अप्रैल में किया जाता है और इसका उत्पादन अक्टूबर-नवंबर के दौरान होता है, जब इसके पौधे पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं.
गोबर खाद का उपयोग
अदरक के खेत से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को इसके खेत में गोबर खाद का उपयोग करना चाहिए.
इसके खेत में किसानों को सड़े गोबर की खाद, नीम की खली और वर्मी कम्पोष्ट को डाल कर अच्छे से खेत की मिट्टी में मिला देना चाहिए.
इसके बाद, मिट्टी को समतल कर देना चाहिए. अब किसानों को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लेना है और खेतों में प्रति हेक्टर के हिसाब से 2 से 3 क्विंटल बीज से बुवाई करनी है.
दक्षिण भारत में अदरक की बुवाई मार्च-अप्रैल में की जाती है और इसके बाद एक सिंचाई की जाती है.
लाखों में होगी कमाई
बीज बुवाई के 8 से 9 महीने के बाद इसकी फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है. अदरक की फसल जब सही से पक कर तैयार हो जाती है, तब इसके पौधों का विकास होना रुक जाता है और इसकी फसलें पीली पड़कर सूखने लग जाती है.
किसान अदरक की खेती करके प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 150 से 200 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
बाजारों में इनका एक किलोग्राम भाव लगभग 40 रुपये या इससे अधिक रहता है.
किसान इसकी खेती करके लाखों में आसानी से 3.5 से 4 लाख तक की कमाई कर सकते हैं.