गेहूं की कटाई का सीजन आते ही किसान यह सोचने लगते हैं कि अब कौन सी फसल लगाई जाए जिससे अधिक मुनाफा हो सके। अगर आप भी गेहूं की कटाई के बाद खेत को खाली नहीं छोड़ना चाहते हैं, तो उड़द की खेती एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। उड़द एक दलहनी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। इसके अलावा, यह फसल खेत की उर्वरता को भी बढ़ाती है, जिससे भविष्य में बेहतर उत्पादन किया जा सकता है।
क्यों करे उड़द की खेती
कम समय में तैयार फसल : उड़द की फसल केवल 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है।
कम लागत, अधिक मुनाफा : प्रति एकड़ 25-30 हजार रुपये तक की कमाई संभव।
नाइट्रोजन फिक्सिंग क्षमता : उड़द की फसल प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन फिक्सिंग करती है, जिससे खेत की उर्वरता बढ़ती है।
कम पानी की आवश्यकता : यह फसल कम पानी में भी आसानी से विकसित हो जाती है, जिससे सिंचाई का खर्च कम आता है।
भूसे का अतिरिक्त लाभ : उड़द का भूसा पशुओं के चारे के रूप में काम आता है और इसे बाजार में अच्छे दाम पर बेचा भी जा सकता है।
सरकारी अनुदान : कृषि विभाग से अनुदान मिलने की संभावना, जिससे खेती की लागत और कम हो सकती है।
कैसे करें उड़द की खेती
1. मिट्टी की तैयारी
- गेहूं की कटाई के तुरंत बाद खेत की जुताई करें और जैविक खाद डालें।
- जैविक खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी को अधिक भुरभुरी बनाती है।
- खेत की गहरी जुताई करने से मिट्टी नरम हो जाती है और जड़ों का विकास बेहतर होता है।
2. बीज का चुनाव और बुवाई प्रक्रिया
- उच्च गुणवत्ता वाले उड़द के बीजों का चयन करें।
- बीजों को 6-8 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए ताकि अंकुरण तेजी से हो।
- उड़द की बुवाई छिड़काव विधि या कतार विधि से की जा सकती है।
- प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
3. खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
- उड़द की फसल नाइट्रोजन फिक्सिंग करती है, जिससे खेत की मिट्टी स्वाभाविक रूप से उपजाऊ बनी रहती है।
- जैविक खाद का प्रयोग करने से उत्पादन बेहतर होता है।
- अतिरिक्त उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अगर मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो तो थोड़ी मात्रा में फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग किया जा सकता है।
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4. सिंचाई और फसल प्रबंधन
- उड़द की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है।
- अत्यधिक पानी देने से जड़ सड़ने की समस्या हो सकती है।
- फसल के फूल आने के समय हल्की सिंचाई करना फायदेमंद होता है।
- समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवार न पनप सके।
5. रोग एवं कीट नियंत्रण
- उड़द की फसल को कुछ प्रमुख रोग जैसे पीला मोजेक वायरस, उकठा रोग और फली छेदक कीट प्रभावित कर सकते हैं।
- इनसे बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।
- फसल की नियमित निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें।
उड़द की कटाई और उत्पादन
60-70 दिन में उड़द की फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। फसल की कटाई सूखी स्थिति में करनी चाहिए ताकि दानों की गुणवत्ता बनी रहे। औसतन एक एकड़ खेत से 5-6 क्विंटल उड़द का उत्पादन हो सकता है।
कितना होगा मुनाफा उड़द की खेती से
- प्रति एकड़ 5-6 क्विंटल उत्पादन की संभावना है।
- बाजार में उड़द के दाम 6000-8000 रुपये प्रति क्विंटल तक होते हैं।
- कुल मिलाकर एक एकड़ से 25,000-30,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है।
- उड़द के भूसे को भी अच्छे दाम में बेचा जा सकता है, जिससे अतिरिक्त आमदनी होती है।
गेहूं की कटाई के बाद उड़द की खेती एक लाभकारी विकल्प है। यह न केवल अतिरिक्त आय का जरिया बनती है, बल्कि खेत की मिट्टी को भी उर्वर बनाती है। कम लागत, कम पानी की जरूरत और सरकारी अनुदान जैसी सुविधाओं के कारण किसान इस फसल को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
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