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कृषि यंत्रों की सूची में ड्रोन हुआ शामिल

 

सरकार देगी 100 फीसदी सब्सिडी

 

कृषि में नये-नये अनुसंधान हो रहे हैं। आजकल खेती में सब कुछ काम आधुनिक कृषि यंत्रों के जरिए होते है। 

इससे मानव श्रम के साथ ही पैसे की भी बचत होती है वहीं वैज्ञानिक तरीके से खेती के कारण पैदावार बढ़ती है। 

बता दें कि अब खेतों में कीटनाशक दवा के छिडक़ाव के अलावा कई फसलों की बुआई एवं रासायनिक खाद का स्प्रे आसानी से किया जाता है।

 सबसे फायदे वाली बात तो यह है कि ड्रोन से खेती करने पर सरकार 100 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान करती है। 

इसका सीधा अर्थ यह है कि किसान यदि ड्रोन खरीदते हैं तो उन्हे 10 लाख रुपये तक लागत की सब्सिडी सरकार देगी। 

आइए, जानते हैं क्या है ड्रोन से खेती करने के फायदे और ,खेती में कहां-कहां होता है इसका उपयोग?

 

ड्रोन के प्रदर्शन के लिए मिलेगी वित्तीय सहायता 

बता दें कि खेती में ड्रोन का प्रयोग करने पर सरकार ने 100 फीसदी सब्सिडी का ऐलान कर रखा है वहीं यह भी प्रावधान किया गया है कि जो किसान ड्रोन नहीं खरीदना चाहते हैं वे इसे किराए पर लेकर अपनी फसल में दवा, खाद, बीज आदि का स्प्रे करवा सकते हैं। 

इसके लिए सरकार ने कस्टम हायरिंग सेंटर्स, हाईटेक हब्स, ड्रोन मैन्युूफैक्चरर्स और स्टार्ट अप्स से किराये पर देने की व्यवस्था की है। 

उन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय 3 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तक सीमित रहेगा। वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च 2023 तक उपलब्ध होगा।

 

कृषि विद्यार्थियों के लिए सुनहरा मौका 

यहां बता दें कि ड्रोन से खेती करने के लिए सरकार की ओर से जहां एक ओर किसानों को जागरूक बनाया जा रहा है वहीं कृषि विद्यार्थियों को भी खेती को बढ़ावा देने के लिए आह्वान किया गया है।

 पिछले दिनों भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 60वें दीक्षांत समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने कृषि की तेजी से प्रगति के लिए नई टेक्नॉलॉजी व संसाधन अपनाने पर जोर देते हुए ड्रोन के माध्यम से  खेती को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों का आह्वान किया। 

पूसा इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में आयोजित दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने उन्नत किस्मों और प्रोद्योगिकी विकास के माध्यम से खाद्व एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संस्थान की सराहना की।

इस दौरान मंत्री ने बताया कि ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ड्रोन प्रशिक्षण देने का भी निर्णय लिया है।

 इसमें भी शत-प्रतिशत सहायता अनुदान देने का निर्णय लिया गया है। कृषि विद्यार्थी इसमें बेहतर भूमिका निभा सकते हैं। 

इस मौके पर प्रोफेसर आर.बी. सिंह, पूर्व निदेशक, डीएससी मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। 

संस्थान के पोस्ट ग्रेज्युएट स्कूल से 284 छात्रों को डिग्री मिली। इनमें 8 विदेशी छात्र शामिल हैं। मुख्य अतिथि ने फल-सब्जियों की 6 किस्में राष्ट्र को समर्पित की।

 

ये संस्थाएं भी होंगी अनुदान की पात्र 

सरकार ड्रोन से खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के अलावा ऐसी संस्थाओं को भी अनुदान देगी जो ड्रोन के प्रदर्शन के लिए काम करना चाहते हैं। इनके लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। 

बता दें कि मौजूदा कस्टम हायरिंग सेंटर्स द्वारा ड्रोन और इससे जुड़े सामानों की खरीद पर 40 प्रतिशत मूल लागत या 4 लाख रुपये जो भी कम हो उसे वित्तीय सहायता के बतौर उपलब्ध कराए जाएंगे। 

इसके अलावा कस्टम हायरिंग  सेंटर की स्थापना कर रहे कृषि स्नातक ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की मूल लागत का 50 प्रतिशत हासिल करने या ड्रोन खरीद के लिए 5 लाख रुपये तक अनुदान समर्थन लेने के पात्र होंगे।

 तीसरे व्यक्ति सब्सिडी पाने के हकदार वे होंगे जो ग्रामीण उद्यमी के तौर पर किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या उसके समान परीक्षा उत्तीर्ण हों। 

 

ड्रोन के ज्यादा उपयोग के लिए दिशा-निर्देशों में बदलाव किया 

बता दें कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ ही इसकी तकनीक को किफायती करने के नये दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

 इनमें अलग-अलग कृषि संस्थानों, उद्यमियों, कृषक उत्पादक संगठन एवं किसानों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। 

इनके अनुसार कृषि मशीनरी खरीद पर कृषि ड्रोन की  लागत का 100 प्रतिशत तक या 10 प्रतिशत तक या 10 लाख रुपये जो भी कम हो उसका अनुदान दिया जाएगा।

 इसके तहत किसानों को खेती में बड़े स्तर पर इस तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा।

 

ड्रोन के उपयोग में करना होगा सरकार के नियमों का पालन 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ड्रोन का खेती में उपयोग करने के लिए सरकार ने कुछ निश्चित नियम भी तय किए हैं।

 इसके लिए नागर विमानन मंत्रालय की ओर से सशर्त छूट सीमा के माध्यम से ड्रोन परिचालन की अनुमति दी जाती है। 

एमओसीए ने भारत में ड्रोन के उपयोग और इसके संचालन को विनियमित करने के लिए 25 अगस्त, 2021 को जीएसआर संख्या 589 के माध्यम से ड्रोन नियम 2021 प्रकाशित किए थे।

 कृषि एवं किसान कल्याण विभाग , कृषि, वन, गैर फसल क्षेत्र आदि में फसल संरक्षण के लिए, उर्वरकों के साथ ड्रोन के उपयोग और फसलों के लिए तत्वों का छिडक़ाव कर सकते हैं।

 

अधिक जानकारी के लिए यहां करें संपर्क 

आपको बता दें कि किसान भाई या अन्य संबंधित व्यक्ति जो ड्रोन से खेती करने के इच्छुक हैं वे कृषि यंत्रोंं पर सब्सिडी आदि के लिए  अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक/ सहायक कृषि अधिकारी/ सहायक निदेशक, कृषि विभाग एवं उप निदेशक कृषि सहित जिला परिषद कार्यालयों से जानकारी ली जा सकती है।

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