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किसान ने गेहूं की खेती छोड़कर बोया चना

 

तारीफ करने खेत में पहुंचे कृषि मंत्री कमल पटेल

 

मध्य प्रदेश सरकार फसल विविधीकरण पर फोकस कर रही है.

ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे, फसलों की लागत कम हो और किसानों को मिले मुनाफा.

 

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने सोमवार को एक किसान के खेत में पहुंचकर फसल विविधीकरण के लिए उसकी तारीफ की.

किसान ने गेहूं छोड़कर चने की खेती की हुई है. इसके बाद कृषि मंत्री ने फसल बदल-बदलकर खेती करने वाले किसानों की तारीफ की.

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से लागत भी कम लगेगी फसल अच्छी होगी. बाजार में कीमत भी किसानों को ठीक मिलेगी.

दरअसल, इन दिनों केंद्र सरकार भी फसल विविधीकरण पर काफी जोर दे रहे है.

वो चाहती है कि किसान धान और गेहूं की खेती कम करके दलहनी और तिलहनी फसलों की ओर आकर्षित हों.

क्योंकि अभी इन दोनों में भारत आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है.

 

अचानक खेत चौपाल लगा दी

मध्य प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में सरकार द्वारा की जा रही अपील का असर देखने के लिए पटेल अचानक हरदा के एक किसान के खेत में पहुंच गए और वहीं पर खेत चौपाल लगा दी.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों भाइयों से लगातार अपील की है कि वे फसल विविधीकरण अपनाएं.

इसी अपील का जायजा लेने कमल पटेल हरदा जिले के ग्राम सिरकंबा मे किसान गोकुल करोड़े के खेत पर पहुंचे.

 

22 एकड़ में 22 लाख की फसल

किसान गोकुल करोड़े ने इस बार सरकार की अपील का ध्यान रखते हुए अपने खेत में गेहूं की बजाय डालर चना बोया है.

गोकुल की फसल खेत में लहलहा रही है. गोकुल ने 22 एकड़ में चना बोया है.

इसके पहले वे गेहूं की फसल लिया करते थे, लेकिन इस बार उन्होंने सरकार की अपील और कृषि मंत्री के सुझावों को मानते हुए चना बोया.

एक एकड़ में एक लाख की फसल इस इस बार होने का अनुमान है. यानी कि 22 एकड़ में 22 लाख की फसल.

 

कितना है गेहूं और चने का एमएसपी

किसान ने इस बात को स्वीकारा कि अगर गेहूं की फसल लेते तो उन्हें 4 बार पानी देना होता, मेहनत भी ज्यादा करना पड़ती और लागत ज्यादा लगती, आमदनी कम होती.

रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपए प्रति क्विंटल है. जबकि गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये होगी.

 

कम लागत का दावा

कृषि मंत्री कमल पटेल ने खेत चौपाल पर किसान गोकुल करोड़े को बधाई देते हुए किसान भाइयों से फसल विविधीकरण पर जोर देने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से लागत भी कम होगी, फसल अच्छी होगी, कीमत अच्छी मिलेगी और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी.

ऐसा करने से ही खेती लाभकारी काम बनेगा. आत्मनिर्भर किसान होगा तो आत्मनिर्भर भारत का भी सपना साकार होगा.

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