कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने लखपति दीदी के समान लखपति बीघा का लक्ष्य रखते हुए एक बीघा से एक लाख रूपए की कमाई करने वाले किसानों को भी सम्मानित करने के निर्देश दिए।
साथ ही बैठक में आगमी तीन वर्ष की कार्य-योजना भी तैयार की गई।
खेती-किसानी में अच्छा काम करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा किसानों को सम्मानित कर पुरस्कृत किया जाता है, ताकि अन्य किसान भी उनसे प्रेरणा लेकर नवाचारों को अपना सकें।
इस कड़ी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि लखपति दीदी के समान लखपति बीघा का लक्ष्य रखते हुए एक बीघा से एक लाख रूपए की कमाई करने वाले किसानों को भी सम्मानित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को बिचौलियों से बचाने और उन्हें बाजार में अपनी उपज का सीधे लाभ दिलाने के लिए आवश्यक व्यवस्था हो।
प्रदेश में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने और अद्यतन तकनीक का इस्तेमाल कर बेहतर उपज लेने के लिए ग्राम स्तर पर सघन गतिविधियां संचालित की जाएं।
हर संभाग की नर्सरियों को आदर्श रूप में विकसित किया जाए। नरवाई प्रबंधन के लिए तीन वर्ष की कार्ययोजना विकसित की जाए।
साथ ही किसानों तक उर्वरक की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अद्यतन तकनीक का उपयोग करते हुए कार्ययोजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शुक्रवार, 5 दिसंबर को किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान ये निर्देश दिए।
बैठक में आगामी तीन वर्षों की कार्ययोजना की गई तैयार
बैठक में विभाग की दो वर्ष की उपलब्धियों तथा नवाचारों का प्रस्तुतिकरण किया गया और आगामी तीन वर्ष की कार्ययोजना प्रस्तुत की गई।
बैठक में जानकारी दी गई कि-
- प्रदेश के सभी 363 नगरपालिका, नगर पंचायतों में साप्ताहिक जैविक/प्राकृतिक हाट बाजार लगाए जाएंगे।
- पर ड्रॉप मोर क्रॉप- दबाव सिंचाई प्रणाली के तहत वर्ष 2025-26 में 25 हजार, वर्ष 2026-27 में एक लाख और वर्ष 2027-28 में दो लाख हेक्टेयर का लक्ष्य है।
- नरवाई (पराली) प्रबंधन के अंतर्गत पराली जलाने की घटनाओं में वर्ष 2027-28 तक 80 प्रतिशत तक की कमी लाने का लक्ष्य रखा है।
- आगामी दो वर्षों में सभी मंडियों का हाईटेक बनाया जाएगा।
- तिलहन, दलहन फसलों में आत्मनिर्भरता के लिए क्षेत्र विस्तार का लक्ष्य रखा गया है।
- कृषि में अनुसंधान कार्य-योजनाओं को प्रोत्साहन देते हुए प्रयोगशाला से खेत की दूरी को कम किया जाएगा।
कृषि विभाग की पिछले दो वर्ष की उपलब्धियां
- बैठक में बताया गया कि प्रदेश दालों, तिलहन और मक्का उत्पादन में देश में प्रथम तथा खाद्यान्न, अनाज एवं गेहूं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है।
- उर्वरक वितरण के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में 38.10 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 21.41 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी + एन.पी.के. वितरित किया गया। वर्ष 2025-26 में 29.77 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 30 नवम्बर तक 19.42 मीट्रिक टन डी.ए.पी + एन.पी.के. का वितरण हुआ।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा में वर्ष 2023-24 में 1 करोड़ 77 लाख बीमित कृषकों को 961.68 करोड़ रूपए और वर्ष 2024-25 में 1 करोड़ 79 लाख बीमित कृषकों को 1275.86 करोड़ रूपए के दावे का भुगतान किया गया।
- मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 4,687 करोड़ रूपए, वर्ष 2024-25 में 4,849 करोड़ रूपए और वर्ष 2025-26 में 3,374 करोड़ की सहायता राशि वितरित की गई।
- प्रदेश की सभी 259 मंडियों में ई-मंडी योजना लागू हो चुकी है। इस उपलब्धि के लिए स्कॉच गोल्ड अवार्ड भी प्राप्त हुआ।
- मंडी बोर्ड द्वारा एमपी फार्म गेट ऐप से किसान अपने दाम पर, अपने घर, अपने खलिहान और गोदाम से अपनी कृषि उपज बेचने में सक्षम हुआ। इस नवाचार को स्कॉच सिल्वर अवार्ड प्राप्त हुआ।
- पराली प्रबंधन के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 1312, वर्ष 2024-25 में 1757 और वर्ष 2025-26 में 2479 नरवाई कृषि यंत्र वितरित किए गए।
- कृषि यंत्रीकरण के अंतर्गत भोपाल और इंदौर में ड्रोन पायलट स्कूल आरंभ हुए।
- ई-विकास पोर्टल से उर्वरक वितरण का पायलट प्रोजेक्ट विदिशा, शाजापुर और जबलपुर में क्रियान्वित किया गया। इसे सम्पूर्ण प्रदेश में लागू करने की योजना है।
बैठक में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की समीक्षा के दौरान हाईटेक नर्सरी, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कृषकों और उद्यमियों की क्षमता संवर्धन के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी गई।
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