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महाराष्ट्र के किसान मध्यप्रदेश पहुंचे, खेतों में देखी फसलें

उन्नत तकनीकी की जानकारी प्राप्त की

 

मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से कपास के किसान पहुंच रहे हैं। वे यहां उन्नत खेती सीखने आए हैं।

कपास की फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान संघ के महाराष्ट्र इकाई के किसानों को आमंत्रित कर उनसे कपास की पैदावार बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकी की जानकारी प्राप्त की।

महाराष्ट्र से मनावर आए मावली कापसे ने किसानों के खेतों में जाकर उन्हें कपास की पैदावार अधिक लेने के लिए जानकारी दी।

 

कापसे ने बताया कि कपास की चौपाई का अंतराल करके की जाना चाहिए तथा कपास के पौधे जब 30 से 40 दिनों के हो जाए तो उसमें से मोनो पुडी के तने को पौधे से निकाल देना चाहिए।

ऐसे तने 2 से लेकर 3 की संख्या में होते हैं जो कपास के पौधे के अधिक भाग का पोषक तत्व खत्म कर देते हैं।

जिनमें फल कम लगता है तथा फैलते अधिक है ऐसे पौधों से तने की छटाई के बाद पूरे कपास के पौधे को पोषक तत्व मिलते हैं जो सीधे डेंडु का बड़ा साइज कर देते हैं, जिससे उत्पादन अधिक मिलता है।

 

एक एकड में 25 से 30 क्विंटल

1 एकड़ में 10 क्विंटल तक कपास की पैदावार होती है वहां इस पद्धति से खेती करते हैं तो 25 से 30 क्विंटल कपास पैदा किया जा सकता है।

जब कपास के पौधे की हाइट उसकी लगवाई अनुसार तीन से चार फीट हो तो ऊपर से उसकी कटिंग कर देना चाहिए, ताकि वह ज्यादा हाईट नहीं बढ़ा सके।

इस पद्धति से खेती करने के कारण फर्टिलाइजर का उपयोग भी कम होता है तथा पौधे को हवा, पानी तथा हमारे द्वारा स्प्रे किए जाने पर दवाई भी पूरे पौधे को मिलती है।

20 साल से दे रहे खेती को बढ़ावा

महाराष्ट्र में दादासाहेब लाड जो वर्तमान में भारतीय किसान संघ के महाराष्ट्र इकाई के संगठन मंत्री है।

विगत 20 वर्षों से इस प्रकार की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं तथा प्राकृतिक खेती को लेकर वह ज्यादा प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

जिसके कारण महाराष्ट्र में फसल में खर्च कम और मुनाफा ज्यादा होता है।

ग्राम देवला में भारतीय किसान संघ द्वारा मावली कापसे के लिए स्वागत समारोह आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में केवीके के वैज्ञानिक धर्मेंद्र सिंह, दयाराम पाटीदार, नरेंद्र पाटीदार, मंसाराम पाटीदार, सुरेश पाटीदार, देवदास पाटीदार आदि का भी स्वागत किया गया।

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