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कम खर्च में अच्छे उत्पादन के लिए किसान करें जैव उर्वरकों का प्रयोग

आज के समय में देश के किसान रासायनिक उर्वरकों पर अत्याधिक निर्भर हैं, जिससे इसका उत्पादन एवं उपयोग दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। फिर भी उर्वरक आवश्यकता की पूर्ति में हम आत्मनिर्भर नहीं हो पाये है।

रासायनिक उर्वरकों के आयात में भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्चा हो रही है। रासायनिक उर्वरकों के साथ जैव उर्वरकों के उपयोग की संभावनायें बढ़ी है।

 

जैव उर्वरकों का प्रयोग

क्योंकि इनसे न केवल पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है बल्कि मृदा उर्वरता भी स्थिर बनी रहती है।

जैव उर्वरकों का पूरक के रूप में उपयोग करने से रासायनिक उर्वरकों की उपयोग क्षमता बढ़ती है, जिससे उपज में भी वृद्धि होती है।

 

जैविक खाद से होती है उत्पादन में वृद्धि

एमपी के कृषि विभाग कटनी ने जानकारी देते हुए बताया कि जैव उर्वरक एक जीवाणु खाद है।

जैव उर्वरक के प्रयोग से 30-40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर भूमि को प्राप्त हो जाती है। जैव उर्वरकों के प्रयोग से 10-20 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि होती है।

जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरक के पूरक तो है ही, साथ ही ये रासायनिक उर्वरकों की क्षमता में वृद्धि भी करते है।

किसान जैव उर्वरक से पौध, कन्द और खेत उपचार कर सकते हैं। इसमें किसान 5 ग्राम जैव उर्वरक प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार किया जाता है।

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इसके लिए 5 से 10 ग्राम जैव उर्वरक 250 ग्राम गुड का पानी में घोल बनाकर नर्सरी से उखाडी गई पौध की जड़ो को घोल में 10-15 मिनिट तक डुबोकर रखे, तत्पश्चात रोपाई की जाती है।

इसी प्रकार कन्द उपचार के अंतर्गत आलू, अदरक, गन्ना आदि को 25 से 30 लीटर पानी 500 ग्राम गुड व अनुशंसित जैव उर्वरक का घोल बनाकर कंदो को 10 से 15 मिनिट तक डुबोकर रखे, तत्पश्चात् रोपाई की जाती है।

जबकि खेत उपचार के अंतर्गत जैव उर्वरक की अनुशंसित मात्रा 100 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद में मिलाकर हल्का पानी छिड़क कर रात भर छोड़ दे तथा सुबह तैयार खेत में बिखेरकर बखर चलाकर मिला दें।

 

जैव उर्वरकों से आती है उत्पादन में कमी

जैव उर्वरक सस्ते होते है और कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने में सहायक है। जैव उर्वरक वायुमंडल की नाइट्रोजन को फसलों को उपलब्ध कराते है।

मिट्टी में अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील बनाते है तथा अगली फसल को भी लाभ पहुंचाते है। जैव उर्वरक वृद्धि कारक हार्मोन उत्पन्न करते है, जिससे पौधों की वृद्धि पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

मृदा जनित रोगों पर नियंत्रण, सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि तथा पर्यावरण सुरक्षा जैव उर्वरकों के अन्य प्रमुख लाभ है। जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरकों का स्थान नहीं ले सकते, लेकिन इनकी आवश्यक मात्रा को कम कर सकते है।

अब जिंक व पोटाश उपलब्ध कराने वाले जैव उर्वरक भी बाजार में उपलब्ध है।

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