किसानों को अब गन्ने से होगा डबल मुनाफा, जल्द तैयार होगा खास प्लान

गन्ने की खेती (sugar cane field) करने वाले किसानों को अब गन्ने से डबल मुनाफा होने वाला है। इसके लिए खास प्लान तैयार करने की दिशा में काम किया जा रहा है। इसके मुताबिक आने वाले समय में चीनी मिलों में गन्ने के बायोमास से यूरिया, पेपर, इथेनाल और पाली एथिलीन जैसे प्रोडेक्ट तैयार किए जाएंगे।

इस विषय पर कानपुर के नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट में गन्ना और शुगर को लेकर शोध किए जा रहे हैं।

 

यूरिया, पेपर, इथेनॉल और पाली एथिलीन जैसे प्रोडक्ट

जल्द ही अब शुगर इंडस्ट्री में चीनी के साथ अन्य कई उत्पादों को भी तैयार किया जाएगा। इसमें बायोमास का इस्तेमाल किया जाएगा।

बायोमास उस पदार्थ को कहते हैं जो गन्ने से शुगर निकालने के बाद बच जाता है।

इस बायोमास से शक्कर से भी कीमती प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे। इससे किसानों को लाभ (डबल मुनाफा) होगा। उनकी इनकम बढ़ेगी।

 

गन्ने के बायोमास से कौनसे उत्पाद बनाए जाएंगे 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गन्ने से शक्कर बनाने के बाद बचे हुए बायोमास (biomass) का इस्तेमाल करके यूरिया, पेपर, इथेनॉल, पाली एथिलीन सहित कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे।

इससे शुगर इंडस्ट्री में चीनी के साथ यह प्रोडक्ट तैयार होंगे जिससे चीनी इंडस्ट्री को फायदा होगा। वहीं दूसरी ओर किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा।

किसानों को अभी तक गन्ने के मूल्य पर एक फिक्स अमाउंट ही मिलता है। लेकिन जब यह प्रोडक्ट बनने शुरू हो जाएंगे तो उनको गन्ने का अधिक रेट मिलना संभव हो सकेगा।

इसी के साथ क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसी के साथ ही अब नॉन फूड बायोमास से अपने देश में ही प्रोडक्ट तैयार होने से इनके आयात पर रोक लगेगी जिससे देश का पैसा बचेगा।

अभी तक इस नॉन फूड बायोमास (non food biomass) उपयोग नहीं होने से यह बेकार चला जाता था लेकिन अब इसके उपयोग से तरह-तरह के महंगे और उपयोगी उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे यह बायोमास आने वाले समय में शक्कर से भी ज्यादा कीमती होगा।

 

पराली जलाने की समस्या भी होगी दूर

खेती के बाद जब फसल कट जाती है तो फसल अवशेष खेत में रह जाते हैं जिसे किसान अगली फसल की खेती के लिए खेत खाली करने की जल्दी में जला देते हैं जिससे वायु प्रदूषण होता है।

लेकिन अब फसल कटने के बाद बचे फसल अवशेषों जिसे पराली कहा जाता है, इससे भी प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे।

इससे काफी हद तक पराली जलाने की समस्या से निजात मिल जाएगी और वायु प्रदूषण की रोकथाम हो सकेगी।

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