धान खरीफ सीजन की सबसे मुख्य फसल है, देश के अधिकांश किसान खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं। धान की नर्सरी तैयार करने का समय नजदीक आ गया है।
धान की नर्सरी
ऐसे में किसान धान की नर्सरी तैयार करने के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर लागत कम करके इसका उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
इसमें क्यारियों की लंबाई चौड़ाई, बीज की मात्रा, संतुलित खाद-उर्वरकों का प्रयोग, खरपतवारों का नियंत्रण और बीजोपचार आदि शामिल है।
कैसे तैयार करें क्यारियां
किसानों को धान की नर्सरी तैयार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और जहां तक हो सके किसान आधार या प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें।
धान की पौध तैयार करने के लिए 8 मीटर लम्बी एवं 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियाँ बना लें।
जब तक नये पौध हरे ना हो जाये, पक्षियों से होने वाले नुक़सान से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए इसके लिए किसान शुरू के 2 से 3 दिनों तक अंकुरित बीजों को पुआल से ढक कर रखें।
इसके बाद पानी की पतली सतह के साथ संतृप्त से गारे वाली स्थिति बनाये रखने के लिए नर्सरी क्यारियों के ऊपर अंकुरित बीजों को समान रूप से छिड़काव करें।
नर्सरी के लिए धान का कितना बीज लें
नर्सरी तैयार करने के लिए किसानों को मध्यम आकार की प्रजातिओं के लिए 40 किलोग्राम मोटे, धान के लिये 45 किलोग्राम और बासमती प्रजातिओं के लिए 20 से 25 किलोग्राम बीज लेना चाहिए।
धान के बीज को बोने से पहले 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2.5 ग्राम कार्बेंडाजिम या थीरम से बीजोपचार कर लेना चाहिए।
जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो वहाँ पर 25 किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोंमाइसीन को मिलाकर पानी में रातभर भिगों दें तथा 24 से 36 घंटे तक जमाव होने दें।
बीच-बीच में पानी का छिड़काव करते रहें तथा दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी में डाल दें।
स्वस्थ एवं रोगमुक्त पौध तैयार करने के लिए उचित जल निकास एवं उच्च पोषक तत्वों से मुक्त दोमट मृदा का सिंचाई के स्रोत के पास पौधशाला का चयन करें।
बुआई से एक महीने पहले नर्सरी तैयार की जाती है। नर्सरी क्षेत्र में 15 दिनों के अंतराल पर पानी देकर खरपतवारों को उगने दिया जाए तथा हल चलाकर खरपतवारनाशी जैसे की पैरक्वाट या ग्लाइफ़ोसेट का एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करके खरपतवारों को नष्ट कर दें।
ऐसा करने से धान की मुख्य फसल में भी खरपतवारों की कमी आयेगी।
नर्सरी क्षेत्र को मई-जून महीने में अच्छी तरह 3 से 4 बार हाल से जुताई करके खेत को ख़ाली छोड़ने से मृदा संबंधित रोगों में क़ाफ़ी कमी आती है।
धान की नर्सरी में कितना खाद डालें
अच्छी फसल के लिए किसानों को संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। जिससे नये पौधों की अच्छे से बढ़वार हो सके और पौधे स्वस्थ रहें।
किसानों को 1000 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए 10 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 10 किलोग्राम डाई अमोनियम फास्फेट (DAP) तथा 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट जुताई से पहले मिट्टी में मिला देना चाहिए।
10 से 12 दिनों बाद यदि पौधों का रंग हल्का पीला हो जाये तो एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार 10 किलोग्राम यूरिया प्रति 1000 मीटर की दर से मिट्टी की ऊपरी सतह पर मिला देना चाहिए। जिससे पौधों की बढ़वार अच्छी तरह से हो सके।
धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण
बुआई के 1 से 2 दिन बाद पायराजोसल्फ्यूरॉन 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पौध निकलने के पहले छिड़काव करें।
इसके लिए शाकनाशी को 10 से 15 किलोग्राम/1000 मीटर रेत में मिलाकर उसे नर्सरी क्यारियों में एक समान रूप से फैला दें तथा हल्का पानी लगभग 1 से 2 सेंटीमीटर क्यारियों में भरा रहने दें जिससे खरपतवारनाशी एक समान क्यारियों में फैल जाए।