कृषि विभाग ने जारी की सलाह
कृषि विभाग द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि बाजरे के अधिक उत्पादन के लिए उर्वरक प्रबंधन, प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग, बीजोपचार, मृदा उपचार व खरपतवार प्रबंधन अति आवश्यक हैं।
किसान फसल उत्पादन की लागत को कम कर उत्पादन बढ़ा सकें इसके लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल उत्पादन की तकनीकी जानकारी दी जा रही है।
इस कड़ी में ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के कृषि अनुसंधान अधिकारी (उद्यान) उपवन शंकर गुप्ता ने बताया कि बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंगफली, तिल, ग्वार, मूंग, उड़द, चंवला एवं मोठ आदि खरीफ में बोई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं।
अधिक उत्पादन लेने के लिए उर्वरक प्रबंधन, प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग, बीजोपचार, मृदा उपचार व खरपतवार प्रबंधन अति आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि बीजोपचार व मृदा उपचार बीज व मृदा जनित रोगों व कीटों की रोकथाम का सबसे सरल, सस्ता व प्रभावी तरीका हैं।
बीजों को कवकनाशी, कीटनाशी व जीवाणु कल्चर से उपर्युक्त क्रम में ही उपचारित करना चाहिए।
खाद व उर्वरकों का प्रयोग मृदा जांच रिपोर्ट के आधार पर ही करना चाहिए।
कृषि रसायनों को उपयोग करते समय सदैव चश्मा, हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनना चाहिए।
रोगों से बचाने के लिए करें बीज उपचार
कार्यालय के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि बाजरा की फसल में मुख्यतः तुलासिता तथा हरित बाली रोग, अरगट रोग तथा दीमक एवं सफेद लट कीट आदि का प्रकोप होता हैं।
रोगों से बचाव के लिए बीजों को बुवाई से पूर्व 6 ग्राम मेटालेक्जिल से एवं दीमक, सफेद लट, तना मक्खी व तना छेदक कीटों से बचाव के लिए 8.75 मि.ली. इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ.एस. अथवा 7.5 ग्राम क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यू.डी.जी. से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।
वहीं कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) डॉ. कमलेश चौधरी ने बताया कि बाजरे के बीजों को एजोटोबैक्टर जीवाणु कल्चर से उपचारित करने के लिए 500 मिली पानी में 250 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए तथा घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम जीवाणु कल्चर मिलायें।
इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोये जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलायें कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जायें। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने का काम करें।
किसान इस तरह करें बाजरे की बुआई
कृषि अनुसंधान अधिकारी (शस्य) राम करण जाट के अनुसार बाजरे की बुवाई का समय मध्य जून से जुलाई का तृतीय सप्ताह तक हैं एवं बीज दर 4 किलो प्रति हेक्टेयर तक होती हैं।
बाजरे के लिए 104 किलो यूरिया एवं 65 किलो डीएपी अथवा 130 किलो यूरिया एवं 188 किलो एसएसपी प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता रहती हैं।
बुवाई से पहले यूरिया की आधी मात्रा एवं डीएपी या एसएसपी की पूरी मात्रा कतारों में डालें एवं यूरिया की आधी मात्रा बुवाई के 25-30 दिन बाद वर्षा होने पर दें।
खरपतवार प्रबंधन के लिए बाजरे की बुवाई के तुरन्त बाद एट्राजीन 50 डब्ल्यूपी आधा किलो सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें एवं बुवाई के तीसरे-चौथे सप्ताह तक निराई-गुड़ाई करके खरपतवार अवश्य निकालें।
सिंचाई की व्यवस्था होने पर पौधों में फुटान, सिट्टे निकलते एवं दाना बनते समय आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
किसानों को इन दामों पर मिलेगी यूरिया, डीएपी, एनपीके सहित अन्य खाद