जैविक फल सब्जियों की बाजार में काफी अच्छी कीमत मिलती है.
ऐसे में अगर आप लहसून की खेती जैविक तरीके से करते हैं तो आप बेहतर कमाई कर सकते हैं.
लहसुन की खेती
लहसून की खेती एक फायदे का सौदा तो होती ही है, अगर आप इसकी खेती जैविक तरीके से करते हैं तो यह आपकी आय हो दोगुना कर सकती है.
बाजार में रसायन मुक्त सब्जियों की बहुत ज्यादा मांग होती है.
लोग जैविक तरीके से उगाई जाने वाली सब्जियों के लिए अधिक कीमत भी देने को तैयार रहते हैं.
ऐसे में आज हम आपको जैविक विधि से लहसून की खेती करने के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं.
जिस विधि को अपनाकर आप बंपर कमाई कर सकते हैं.
जैविक तरीके से खेत की तैयारी
लहसुन की जैविक खेती का सही समय जुलाई महीने की गर्मी में होता है.
इस समय खेत की जुताई के बाद उसमें हरी खाद के साथ ढेंचा की बुवाई भी कर सकते हैं.
यह ध्यान रखें कि आप समय-समय पर हरी खाद के साथ मिट्टी को पलटते रहें.
खेती के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी होना जरुरी है. लहसून की बुआई के लिए मेढ़ बनाकर की जा सकती है.
मेढ़ की लम्बाई भूमि के ढाल के अनुसार ही बनाएं.
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खाद
खेत के उपजाऊपन को बढ़ाने के लिए आप मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद और कम्पोस्ट को क्यारियों में मिला दें.
आप अपने घर पर नीम की पत्तियों से निर्मित खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
खेत में कम्पोस्ट या गोबर खाद का प्रयोग लहसून की रोपाई के 15 से 20 दिन बाद ही कर दें.
सिंचाई
लहसून की बुआई के बाद इसकी पहली सिंचाई 8 से 10 दिन के बाद कर देना चाहिए.
इसकी अच्छी पैदावार के लिए दूसरी सिंचाई को 20 से 25 दिन के अन्तराल पर मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर करनी चाहिए.
लहसुन की फसलों को हमेशा निराई-गुड़ाई की जरुरुत होती रहती है.
भण्डारण
लहसुन की फसल तैयार होने में पांच से छह महीने का समय लग जाता हैं.
जब इसके पौधों की पत्तियां का रंग पीला दिखने लगे तो इसकी सिंचाई बंद कर दें और कुछ दिनों के बाद इसकी मिट्टी से निकालना शुरु कर दें.
इन गठिलें लहसून को लगभग 3 से 4 दिनों तक छाया में सुखने के लिए रख दें.
अब आप इसे घर के किसी सूखे स्थान पर रख दें. यह लहसून अगले 6 से 8 महीनों के तक भण्डारित करके रखा जा सकता है.
एक एकड़ के खेत में आप आराम से इसकी खेती कर 2 से 3 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं.
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