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सरकार ने तैयार किया 5.5 करोड़ किसानों का डाटाबेस

 

5.5 करोड़ किसानों का डाटाबेस तैयार

 

कृषि क्षेत्र को अधिकाधिक ज्ञान-विज्ञान व तकनीक से जोड़ने की जरुरत है और इस दिशा में सरकार डिजीटल एग्रीकल्चर का कन्सेप्ट लाई है।

जिससे किसानों को अधिक से अधिक योजनाओं का लाभ पारदर्शी तरीके से दिया जा सके|

भारतीय कृषि को वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाने के साथ ही किसानों के लिए लाभकारी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार इस क्षेत्र को आधुनिक बना रही है।

प्रत्येक किसान की एक विशिष्ट डिजिटल पहचान होगी, जिसमें व्यक्तिगत विवरण, उनके द्वारा खेती की जाने वाली भूमि की जानकारी, उत्पादन और योजनाओं के लाभ आदि की जानकारी होगी |

 

डिजीटल एग्रीकल्चर की संकल्पना साकार करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 5.5 करोड़ किसानों से संबंधित डाटा तैयार कर लिया है, राज्यों के सहयोग से दिसंबर-2021 तक आठ करोड़ से अधिक किसानों का डाटा बेस बन जाएगा जो कृषि व किसानों की प्रगति के लिए राज्यों, केंद्रीय विभागों व विभिन्न संस्थाओं को उपलब्ध कराया जाएगा।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बात पांच अहम विषयों पर आयोजित मुख्यमंत्रियों व कृषि मंत्रियों की बैठक में कही।

 

किसानों को पारदर्शिता के साथ मिलेगा योजनओं का लाभ

कृषि मंत्री ने कहा कि आज कृषि को अधिकाधिक ज्ञान-विज्ञान व तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता है|

इस दिशा में सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर का कांसेप्ट लाई है| इसके माध्यम से पारदर्शिता आ रही है, जिसका उदाहरण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम है|

जिसके तहत अभी तक 11.37 करोड़ किसानों को 1.58 लाख करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में (DBT) जमा कराए गए हैं|

 

डिजिटल तकनीक के फायदे को देखते हुए सरकार ने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने का फैसला लिया है|

राज्यों के सहयोग से अन्य योजनाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी| इस डाटाबेस से सरकार को मूल्यांकन व आकलन में सुविधा होगी|

पीएम-किसान का डाटा किसान क्रेडिट कार्ड के डाटा से लिंक करने के फलस्वरूप कोविड-काल में 2.37 करोड़ से अधिक किसानों को बैंकों से केसीसी का लाभ मिला है|

किसानों को इससे 2.44 लाख करोड़ रुपये का कृषि कर्ज मिला है|

तोमर ने कर्नाटक के क्रॉप सर्वे प्रोजेक्ट का उदाहरण देकर अन्य राज्यों से इसे अपनाने का आग्रह किया|

 

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