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चना, मटर की फसल हो रही बर्बाद, कीटों से बचाने के लिए…

दवा का ऐसे करें छिड़काव

 

चना, मटर की खेती के लिए फलीभेदक कीड़ा बहुत नुकसान पहुंचाता है.

इसके अलावा अन्य कीट, रोग भी फसलों को बर्बाद करते हैं. समय रहते जरूरी कीटनाशकों का छिड़काव कर देना चाहिए.

 

देश में रबी सीजन की फसलों की बुवाई लगभग खत्म हो गई है. इक्का दुक्का किसान ही खेतों में बुवाई में लगे हुए हैं.

देश में चना, मटर की बुवाई भी लगभग पूरी हो चुकी है. चना और मटर सब्जियों में प्रमुख आहार हैं.

सर्दी के मौसम में चना, मटर होने पर किसानों को अधिक रखवाली करनी होती है.

इस मौसम में फसलें कीट, रोगों की चपेट में आ जाती हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि फसल को कीट, रोग से बचाव के लिए जरूरी है कि समय रहते ही फसल के लक्षणों की पहचान कर ली जाए.

कीट को भी देखते, परखते रहें. यदि कीट लग गया है तो तुरंत कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर दें.

 

चने में लग जाता है फलीभेदक कीड़ा

चना दलहन की प्रमुख फसलों में से एक है. किसान यदि सर्दी के मौसम में इसकी खेती कर रहे हैं तो उपज अच्छी पा सकते हैं.

इसकी खेती हल्की से भारी मिटटी में होती है. चने में कई तरह के रोग और कीट लग जाते हैं. इनमें फलीभेदक प्रमुख है.

यह चने को नुकसान पहुंचाता है. इससे बचाव के लिए किसान 10 फेरोमौन ट्रैप प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए.

जरूरत पड़ने पर एन.पी. भी 250 एल.ई. या नोवाल्यूरॉन 10 ई.सी. का 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए.

 

चूर्णी फफूंद मटर को नुकसान पहुंचाता है

मटर की फसल को चूर्णी फफूंद नुकसान पहुंचाता है.

इससे बचाव के लिए सल्फर 80 डब्ल्यूएपी 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिए.

यदि फली छेदक का हमला दिख रहा है तो इमामेक्टिन बेंजाएट 5 एसजी का 0.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में छोलकर छिड़काव कर दें.

विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार फली छेदक या चूर्णी फफूंद जैसे कीट तेजी से हमला करते हैं तो इसकी उत्पादक 60 से 70 प्रतिशत तक कम हो जाती है. किसान को बड़ा नुकसान होता है.

 

पोषक तत्वों से भरी हैं फसलें

चना और मटर पोषक तत्वों से भरी हुई हैं. ये दोनों इम्यून सिस्टम बूस्ट करने का काम करती हैं.

मटर में कार्बो प्रोटीन के साथ-साथ फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन ए, बी, सी जैसे खनिज भी पाए जाते हैं.

चना भी शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है.

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