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सवा किलो तक के अमरुद का उत्पादन ले रहा खरगोन जिले का किसान

कहानी ग्राम  इदारतपुर जिला खरगोन के कृषक की

परंपरागत खेती से किसान को उतना पैसा और पहचान नहीं मिलती, जो लीक से हटकर उद्यानिकी या अन्य खेती करने से मिलती है। ऐसा ही प्रयास खरगोन जिले के ग्राम  इदारतपुर के उन्नत कृषक श्री राजेश पाटीदार ने अमरुद की खेती में किया, जिससे उन्हें मात्र दो वर्षों में पैसा और प्रसिद्धि दोनों मिली।

 

42 वर्षीय उन्नत कृषक श्री राजेश पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि जनवरी 2017 में 4 एकड़ में अमरुद की रायपुर से लाई गई वीएनआर किस्म के 2100 पौधे लगाए थे। इस फल का आकार बड़ा और एक फल का वजन 700  ग्राम से लेकर सवा किलो तक का है। मार्च 2018  में पहला फलोत्पादन 17 क्विंटल हुआ। जिसमें करीब 80 हजार की आय हुई। जबकि दिसंबर 2018 की दूसरी खेप में 351 क्विंटल अमरुद उत्पादित हुआ। जिसमें 20 लाख का लाभ हुआ। मार्च 2019 में अमरुद का उत्पादन 225 क्विंटल हुआ। जिसमें 7 लाख का लाभ हुआ। इस प्रकार तीन बार की तुड़ाई में करीब 28 लाख का लाभ हुआ, जबकि खर्च 10 लाख का हुआ। जनवरी 2020 तक करीब 800 क्विंटल अमरुद उत्पादन का अनुमान है. इस शुगर  फ्री अमरुद की किस्म अच्छी होने से इसे दिल्ली भेजने से 50 – 75 रुपए प्रति किलो का भाव मिला।

vnr variety guava amrud

 

अमरुद की फसल की तैयारी की जानकारी देते हुए श्री राजेश ने बताया कि 4 एकड़ में 2100 अमरुद के पौधों के लिए 2×2 फ़ीट के गड्ढे खोदे गए.फिर 25  किलो गोबर खाद, एक किलो नीम की खली , वर्मी कम्पोस्ट और 50 ग्राम  ट्राइकोडर्मा मिलाकर इन गड्ढों में भरा फिर पौधे लगाए। पौधे से पौधे की दूरी 7  फ़ीट और कतार से कतार की दूरी 10 फ़ीट रखी गई। ड्रिप विधि से सिंचाई की गई। पौधों को पर्याप्त पानी और जैविक और रासायनिक खाद मिलने से पोषण अच्छा हुआ।

श्री पाटीदार ने  अमरुद के पेड़ों की समय – समय पर छंटाई कर निर्धारित संख्या में फल रखे। फलों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक फल को फोम , प्लास्टिक और कागज से ढंककर रखा गया। जिससे उत्पादन अच्छा हुआ. उनका मानना है कि पेड़ों का प्रबंधन ठीक रखें तो एक पेड़ से 20  साल तक उत्पादन लिया जा सकता है।

इस अमरुद अभियान में उन्हें सरकारी अनुदान का लाभ भी मिला। यथासमय उद्यानिकी विभाग का सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहता है।

अब शेष 3 एकड़ में नेट हाऊस में हाइडेन्सिटी वाले अमरुद के 1200 पौधे लगाने का विचार है। इसमें 15-18  माह में उत्पादन मिलना शुरू हो जाता है। सीजन से हटकर उत्पादन होने से कीमत भी अच्छी ( 200 – 250 रु. प्रति किलो) मिलेगा।

श्री पाटीदार अन्य किसानों को भी अमरुद फसल का मार्गदर्शन देते रहते हैं। इनसे प्रेरित होकर गांव में किसानों ने अमरुद के 15 हजार पौधे लगाए हैं। गांव के हमनाम श्री राजेश पाटीदार ने ढाई एकड़ में लगाए अमरुद के पेड़ों से आठ लाख रु. कमाए।

source: Krishak Jagat

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