गोबर से लाखों का कारोबार करना है तो लगाएं बॉयो CNG प्लांट

महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ऐसे कई प्लांट चल रहे हैं.

इस प्लांट में वीपीएसए (वेरियेबल प्रेशर स्विंग एडसोरप्शन सिस्टम) टेक्नोलॅाजी से गोबर को प्यूरीफाई किया जाता है और मीथेन बना लिया जाता है.

मीथेन को कम्प्रेस करके सिलेंडर में भर देते हैं.

 

सरकार भी करती है मदद

आपने अभी तक गोबर से खाद या फिर बॉयो गैस बनते देखा होगा. पिछले कुछ वर्षों से गोबर से बॉयो सीएनजी भी बनाई जाने लगी है.

बॉयो सीएनजी को गाय भैंस समेत दूसरे पशुओं के गोबर के अलावा सड़ी-गली सब्जियों और फलों से भी बना सकते हैं. 

ये प्लांट गोबर गैस की तर्ज पर ही काम करता है, लेकिन प्लांट से निकली गैस को बॉयो सीएनजी बनाने के लिए अलग से मशीनें लगाई जाती हैं.

इस प्लांट को इंस्टॉल करने के लिए लागत तो आएगी लेकिन ये समय को देखते हुए बड़ा और कमाई देने वाला कारोबार है.

 

ऐसे बनाई जाती है सीएनजी

महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ऐसे कई प्लांट चल रहे हैं.

इस प्लांट में वीपीएसए (वेरियेबल प्रेशर स्विंग एडसोरप्शन सिस्टम) टेक्नोलॅाजी से गोबर को प्यूरीफाई किया जाता है और मीथेन बना ली जाती है. 

मीथेन को कम्प्रेस करके सिलेंडर में भर देते हैं.

 

बॉयो CNG की बढ़ी डिमांड

बॉयो CNG की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. जो लोग इस कारोबार से जुड़े हैं वह बॉयो CNG की सप्‍लाई सिलेंडर में भरकर करते हैं.

यह अपने घरों में सप्‍लाई होने वाले LPG सिलेंडर जैसा ही है.

यही नहीं बॉयो CNG बनाने के बाद जो गोबर बचता है, वह बेहतरीन खाद का काम करता है.

उस खाद को किसानों को बेचकर कमाई और बढ़ाई जा सकती है.

सरकारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आप भी बॉयो CNG का व्‍यावसायिक इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

 

IGL खरीदती है ये गैस

बायो ऊर्जा प्लांट से उत्पादन होने वाली गैस के बड़े खरीदार इंडियन ऑयल और आईजीएल है.

नेडा के परियोजना अधिकारी भजन सिंह ने बताया कि भारत सरकार की जैव ऊर्जा नीति के तहत इस प्लांट को लगाया गया है. 

आईजीएल और गेल कंपनी 73 रुपए प्रति किलो के बायो संयंत्रों से गैस खरीदते हैं.

 

सरकार भी साथ दे रही है

उत्तर प्रदेश तो कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) इकाइयों को कई तरह के प्रोत्साहन देगी.

मुख्यमंत्री पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वह इस तरह की इकाइयां हर जिले में लगाएगी.

किसानों और व्यापारियों को इन इकाइयों को लगाने के लिए सब्सिडी भी दी जाती है.