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किसानों को ग्लोबल मार्केट उपलब्ध कराने की तैयारी

 

इंदौर के किसान कुवैत, इजरायल, ईरान, इंडोनेशिया तक भेजेंगे ड्यूरम गेहूं और आलू

 

  • सीधे एक्सपोर्टर को बेच सकेंगे माल, 25% ज्यादा मिलेंगे उपज के दाम
  • किसानों की समितियां बनाकर उन्हें ग्लोबल मार्केट उपलब्ध कराने की तैयारी, मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव

 

एक ओर भले ही एमएसपी को लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है, लेकिन इंदौर के किसान जल्द ही मिडिल और ईस्ट के देशों तक अपना आलू और ड्यूरम गेहूं बेच सकेंगे।

नाबार्ड की एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस (एआईएफ) योजना के तहत प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों के क्लस्टर बनाकर जिला प्रशासन इन्हें एक साथ लाएगा और एक्सपर्ट की मदद से अच्छी क्वालिटी का माल पैदा करने, उनके छंटाई, निकलवाई, वाशिंग और फिनिशिंग के बाद पॉलिशिंग कर एक्सपोर्ट करेगा।

इसके गठन के लिए ऑनलाइन प्रस्ताव भी बुला लिए है और एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भी भेज दिया है। संभवत: अगले एक महीने में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

 

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कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक नाबार्ड के तहत एक कृषि साख समिति को दो करोड़ का लोन मिलता है, वह भी मात्र एक प्रतिशत ब्याज पर। छोटे-छोटे प्रोजेक्ट के बजाय हम चार-चार समितियों के क्लस्टर बना रहे है, ताकि एक साथ 8 करोड़ में एक क्षेत्र के कुछ गांवों का अपना एक सेटअप (प्लांट) बन जाए।

एक किसान को अपनी फसल का सीधे 20 से 25 प्रतिशत ज्यादा दाम मिलेंगे। एक क्लस्टर में 8 से 10 हजार किसान जुड़ेंगे। ऐसा अलग-अलग समितियों के साथ किया जाएगा। हम प्लांट लगवाने के साथ, उन्हें सेल्स और ब्रांडिंग की टीम भी देंगे।

 

ऐसे होगा अमल

ड्यूरम गेहूं थोड़ा कड़ा गेहूं है, जिसका छिलका आम गेहूं से कड़क होता है। यहीं इस गेहूं की खूबी है। यह गेहूं सेमोलिना (मोटा दलिया) बनाने में काम आता है। सेमोलिना पास्ता बनाने में काम आने वाला मुख्य तत्व है।

पहली समिति जो जमीन उपलब्ध कराएगी, उसी की जमीन पर इसका प्लांट लगेगा। यह स्टोरेज सुविधा भी उपलब्ध कराएगी। यहीं लीड समिति होगी। अन्य समितियां वाशिंग, ग्रेडिंग, सोर्टिंग, पैकेजिंग व सेमोलिना बनाने का काम करेगी।

– जो सबसे अच्छी क्वालिटी का ड्यूरम गेहूं होगा वह विदेशों को निर्यात होगा, जिससे वहा सेमोलिना, खुशखुश (नाश्ते में खाने वाला उत्पाद) एवं हाई-ब्रान बिस्किट बनाएं जाएंगे।
– दूसरी ग्रेड का गेहूं डोमेस्टिक मार्केट में सेमोलिना बनाने के लिए बेचा जाएगा। समिति के प्लांट पर भी सेमोलिना बनाया जाएगा।

 

टर्की (तुर्की) के माल से होगा कांपिटिशन, हमारी उपज वहां से पहले आती है, इससे भी होगा फायदा

कलेक्टर सिंह के मुताबिक हमारा आलू- मिडिल ईस्ट और साऊथ ईस्ट एशिया जाएगा। ड्यूरम गेहूं भी शार्टिंग, पैकेजिंग के बाद भेजा जाएगा। एक बार प्लॉट लगने और पूरी प्रक्रिया होने से हमारा कांपिटिशन सीधे टर्की से होगा। टर्की और हमारे रेट में भी अंतर होगा।

एक फायदा यह होगा कि टर्की की फसल हमसे देर से निकलती है। हमारे यहां मार्च अप्रैल में तो उनकी जून-जुलाई में आती है। ऐसे में हमारा माल पहले उन बाजारों तक पहुंच जाएगा। इसी तरह गेहूं नवंबर में हमारे यहां, वहां जनवरी में आलू। इस पूरी प्रोसेस में एक साल लगेगा।

 

ये देश आते हैं मीडिल ईस्ट और साऊथ ईस्ट एशिया में

मीडिल ईस्ट के देश- बहरीन, इराक, ईरान, इजराइल, यमन, जार्डन, कतर, कुवैत, ओमना, फिलिस्तान, सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, साइप्रस।

साऊथ ईस्ट एशिया- कंबोडिया, लाओस, बर्मा, थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई, पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर।

 

एक जिला एक प्रोजेक्ट के तहत प्रशासन ने बनाया प्लान

सरकार की एक जिला एक प्रोडक्ट, योजना के तहत जिले में आलू को चुना गया है। सहायक उत्पाद के रूप में ड्यूरम गेहूं को लिया है। प्रोजेक्ट आर्थिक रूप से सक्षम बने इसलिए प्राथमिक सहकारी समितियों का एक कलस्टर बनाया जाएगा।

प्लांट इन्हीं समिति की जमीन पर लगेगा। अन्य समितियां वाॅशिंग (फसल धोेकर साफ करना), सॉर्टिंग (छंटाई), ग्रेडिंग (बेस्ट, मीडियम, लोअर) और पैकेजिंग का काम करेगी।

 

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खेत से प्लाॅट पर ही पहुंचेगा आलू और गेहूं, मुंबई में ग्रेडिंग निरस्त नहीं हो सकेगी

प्रोजेक्ट कंसलटेंट रूद्रासिंग के मुताबिक अभी किसान अलग-अलग काम करते हैं। जब ये मिलकर एक कंपनी बतौर काम करेंगे तो फसल पर भी ध्यान दे पाएंगे और सीधे एक प्लेटफार्म से अपनी फसल को विदेश तक पहुंचा सकेंगे।

अभी जो उपज मुंबई जाती है, वहां भी वह कई बार ग्रेडिंग में फेल हो जाती है। जब ग्रेडिंग यहीं हो जाएगी तो एक्सपोर्ट करने में परेशानी खत्म हो जाएगी।

 

source : dainik bhaskar

 

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