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MBA करने के बाद मनीष भारती ने शुरू किया डेयरी फार्म

 

आज सालाना टर्नओवर 40 लाख रूपये

 

अपने गांव और मिट्टी से जुड़ाव क्या होता है यह मनीष भारती से बेहतर कोई नहीं जानता है. वह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से 14 किलोमीटर दूर अरनावली गांव से ताल्लुक रखते हैं.

मार्केटिंग में एमबीए करने के बाद मनीष कुछ समय के लिए प्राइवेट नौकरी करने के लिए दिल्ली चले गए. लेकिन मोटी सैलरी मिलने के बाद वहां उनका दिल नहीं लगा और वे वापस अपने गाँव अरनावली आ गए.

यहां आकर उन्होंने खुद का डेयरी फार्म शुरू किया और लाखों रूपये की कमाई कर रहे हैं. तो आइये जानते हैं मनीष भारती की सफलता की कहानी-

10 गायों के साथ शुरू किया डेयरी फार्म

मनीष ने 1995 में मार्केटिंग में एमबीए किया जिसके बाद वे दिल्ली चले गए. यहां एक प्राइवेट कंपनी नौकरी करने लगे लेकिन कुछ अलग करने की जिद के साथ 2 साल बाद यानि 1997 में अपने गांव वापस आ गए.

यहां आकर उन्होंने खेती किसानी शुरू की. जिसके बाद साल 2014 में उन्होंने 10 गायों के साथ खुद का डेरी फॉर्म  शुरू किया.

 

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275 लीटर दूध रोजाना बेचते हैं

आज मनीष के पास विभिन्न नस्लों की 75 से अधिक गायें है. जिसमें एचएफए जर्सी, साहिवाल, हरियाणवी नस्लें की गायें शामिल हैं. उनके पास कई ऐसी गायें है जो रोजाना 30 से 32 लीटर दूध देती है.

 

हरियाणवी और साहिवाल नस्लें की गायें रोजाना 10 से 12 लीटर देती है. उनका कहना है कि वे प्रति दिन 250 से 275 लीटर दूध का उत्पादन करते हैं.

 

खुद का ब्रांड बेचते हैं

मनीष दूध और उससे निर्मित प्रोडक्ट डायरेक्ट या आउटलेट के जरिए बेचते हैं. उनके ब्रांड का नाम भारती मिल्क स्प्लैश है.

 

उनका मिल्क पैकिंग दूध 54  रूपये प्रति लीटर, घी 1200 रूपये प्रति लीटर, दही 125 प्रति किलो बिकता है. आज उनका सालाना टर्नओवर 35 से 40 लाख रूपये है.

 

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नए डेयरी फार्म खोलने वाले को सलाह

1.डेयरी फार्म अच्छी नस्ल के पशुओं के साथ शुरू करें जो प्रतिदिन 25 लीटर से अधिक दूध देते हो.

2. इसके लिए तीन से चार साल का बैकअप लेकर चलना पड़ता जिसके बाद ही इससे मुनाफा मिलता है.

3. यदि कम पूंजी है तोडेयरी फार्म सेटअप की बजाय पशुओं पर अधिक पैसा खर्च करें.

4. चारा और पानी का उचित प्रबंधन होना चाहिए.

5. आज अधिकतर डेयरी फार्म बंद हो जाती है इसकी सबसे बड़ी वजह है विदेशों के डेयरी फार्म देखकर अधिक कास्ट खर्च करना. लेकिन यहां कि परिस्थितियां बिल्कुल अलग है.

 

स्त्रोत : कृषि जागरण 

 

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