गेहूं की नई उन्नत किस्म करण वंदना DBW 187 की खेती की जानकारी

देश में गेहूं का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा गेहूं नई-नई क़िस्मों का विकास किया जा रहा है।

जो गेहूं में लगने वाले विभिन्न रोगों के लिए प्रतिरोधी होने के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जिससे किसान कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

गेहूं की एक ऐसी ही किस्म करण वंदना DBW 187 का विकास भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया है, जो गेहूं की अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन देती है।

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित गेहूं किस्म करण वंदना DBW 187 को भारत के उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र के सिंचित क्षेत्र में अगेती एवं समय से बुआई वाली दशाओं के लिए अधिसूचित किया गया है।

इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी), उत्तराखण्ड (तराई क्षेत्र) के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है।

 

करण वंदना dbw 187 की विशेषताएँ

  • अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के परीक्षणों में DBW 187 की औसत उपज 75.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गई है जो प्रचलित किस्मों HD 2967 एवं 3086 के मुकाबले क्रमशः 21.2 प्रतिशत व 3.85 प्रतिशत अधिक है। इस प्रजाति की अधिकतम उत्पादन क्षमता 96.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • सिंचित व समय से बुआई वाली दशा में इस किस्म की औसत पैदावार 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गई है।
  • dbw 187 की पूरे उत्तरी मैदानी क्षेत्र में पैदावार की अच्छी स्थिरता पायी गई है और अधिक उर्वरकों और वृद्धि नियंत्रकों के प्रयोग द्वारा और अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। साथ ही साथ देर से बुआई करने पर भी इस किस्म की उत्पादन क्षमता गर्मी सहनशीलता के कारण अन्य किस्मों की तुलना में अधिक पायी गई है।
  • यह किस्म पीला व भूरा रतुआ की सभी प्रमुख रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक क्षमता के साथ साथ गेहूं बलास्ट रोग के प्रति भी रोधी है।
  • इस किस्म के दानों में उच्च प्रोटीन (12.0%) है तथा प्रोटीन की प्रकार ग्लू 10 के परिपूर्ण स्कोर का समावेश होने के कारण इसमें निर्मित उत्पाद गुणवत्ता पूर्ण बनते हैं। साथ ही यह किस्म गेहूं के कई उत्पादों के लिए उपयुक्त है।
  • dbw 187 किस्म की अगेती बुआई में औसतन 103 दिनों में तथा समय से बुआई में औसतन 98 दिनों में बालियाँ निकलना शुरू हो जाता है, वहीं अगेती बुआई में औसतन 158 दिनों में और समय से बुआई में औसतन 146 दिनों में यह किस्म पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • समय से बुआई करने पर इस किस्म के पौधों की ऊँचाई औसतन 103 सेमी होती है वहीं 1000 ग्राम दानों का वजन 45 ग्राम होता है। वहीं अगेती बुआई की दशा में पौधों की ऊँचाई औसतन 100 सेमी होती है वहीं 1000 ग्राम दानों का वजन 47 ग्राम होता है।

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करण वंदना DBW 187 की खेती कैसे करें

इस किस्म से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान इस किस्म की बुआई 25 अक्टूबर से लेकर 05 नवम्बर के दौरान कर लें।

इसके लिए किसान प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें साथ ही पंक्तियों के बीच की दूरी 20 सेमी रखें। गेहूं की यह किस्म अगेती और समय से बुआई के लिए उपयुक्त है।

किसान इस क़िस्म की बुआई से पहले खेत की भूमि को समतल कर अच्छी तरह से तैयार कर लें।

इसके बाद गेहूं के कंडुवा रोग से बचाने के लिए वीटावैक्स (कार्बॉक्सिन 37.5 प्रतिशत थीरम 37.5 प्रतिशत) प्रति 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित कर लें। इस क़िस्म में सामान्यतः 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है।

जिसमें किसान पहली सिंचाई बुआई के 20 से 25 दिन बाद तथा उसके बाद की सिंचाई प्रत्येक 25 से 35 दिनों के अन्तराल पर करें।

 

करण वंदना DBW 187 में कितना खाद-उर्वरक डालें

सामान्यतः किसानों को उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए।

किसान करण वंदना DBW 187 किस्म में उच्च उर्वरता वाली भूमि के लिए N: 150, P: 60, K: 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें।

इसमें फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा का भाग बिजाई के समय तथा नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा का भाग पहली सिंचाई के बाद तथा शेष मात्रा दूसरी सिंचाई के बाद देनी चाहिए।

किस्म की पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए, 150 प्रतिशत एनपीके और वृद्धि नियंत्रकों के साथ 15 टन प्रति हेक्टेयर देसी खाद का प्रयोग करना चाहिए।

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