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जानिए हल्दी की ये विभिन्न किस्में और इसके फायदे

हल्दी एक नगदी फसल होती है. जानिए इसके विभिन्न प्रकार की किस्म और फायदे क्या है.

 

हल्दी की किस्में

किसानों अपनी आय बढ़ाने के लिए नकदी फसलों की तरफ रुझान कर रहे हैं.

नकदी फसल ऐसी फसल हैं, जिसकी भारतीय बाजार में काफी मांग होती है और इससे कमाई भी अच्छी होती है.

किसान अब मसाला फसलों की खेती पर भी ध्यान दे रहे हैं. इसमें हल्दी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है.

हल्दी का प्रयोग हर घर में किया जाता है. इसके औषधीय गुणों के कारण इसे सौंदर्य प्रसाधन के सामान बनाने में भी किया जाता है.

ऐसे में आज हम आपको इसकी विभिन्न प्रकार की किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं.

 

हल्दी की सुंगधम किस्म

हल्दी की सुंगधम किस्म कंद के आकार की होती है. यह हल्की लाल और पीले रंग की होती है.

इसको पकने में 200 से 250 दिन लग जाता है. इसकी एक एकड़ के खेत में पैदावार 90 से 100 क्विंटल तक होती है.

 

सोरमा किस्म

सोरमा किस्म की हल्दी नारंगी रंग की होती है. इसका ज्यादातर इस्तेमाल औषधीय दवाईयां बनाने में किया जाता है.

इसकी खेती के लिए हल्की नमी की आवश्यकता होती है. यह 5 से 6 महीनें में पक कर तैयार हो जाती है.

 

सुदर्शन किस्म

हल्दी की यह किस्म कंद के आकार की होती है. यह दिखने में काफी सुंदर दिखाई देती है.

इसको तैयार होने में 190 से 200 दिन का समय लगता है. इसका इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है.

इस एक एकड़ के खेत में 120-130 क्विंटल तक उगाया जा सकता है.

 

आरएच 5 किस्म

इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है. इसको तैयार होने में 5 से 7 महीनें लग जाते हैं.

इसकी पैदावार प्रति एकड़ के खेत में 200 से 240 क्विंटल तक होता है. इस हल्दी की बुवाई समतल और मेड़ विधि से की जाती है.

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