किसान ड्रोन
एक एकड़ खेत में चंद मिनटों में ही ड्रोन करेगा दवा का छिड़काव।
प्रदेश के किसान खेतों में अब ड्रोन तकनीक का लाभ ले सकेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार प्रदेश के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में किसान ड्रोन उपलब्ध कराएगी।
इससे मात्र सात से नौ मिनट में एक एकड़ (0.40 हेक्टेयर) खेत में दवा का छिड़काव किया जा सकेगा।
हाल ही में इस संबंध में दिल्ली में हर जिले के एक-एक कृषि विज्ञानी को प्रशिक्षण दिया गया है।
अगले चार-पांच माह में किसान ड्रोन प्रदेश के हर जिले में पहुंच जाएगा।
सरकार सब्सिडी प्रदान करेगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में ड्रोन तकनीक को लेकर दिल्ली में हुई एक कार्यशाला में मार्गदर्शन दिया था।
केंद्र सरकार लगभग दस लाख रुपये लागत वाला यह ड्रोन कृषि विज्ञान केंद्रों को निश्शुल्क उपलब्ध कराएगी।
इसके अलावा किसान, कृषक उत्पादक समूह, महिलाएं या किसान महिला समूह स्टार्टअप के लिए भी इसे अपना सकेंगे।
अन्य व्यक्ति भी अगर इसे रोजगार के रूप में अपनाना चाहे तो उसे सरकार सब्सिडी प्रदान करेगी।
प्रशिक्षण दिया जाएगा
यही नहीं ड्रोन पायलट बनने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
शुरुआती चरण में खंडवा सहित इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, खरगोन आदि सभी शहरों के कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि महाविद्यालयों में यह निश्शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
भविष्य में इससे फसल नुकसानी व सर्वे के लिए भी प्रयोग करने की योजना बनाई जा रही है।
इस तरह मिलेगी सब्सिडी
- 50 प्रतिशत या अधिकतम पांच लाख रुपये की सब्सिडी महिलाओं या महिला समूह को।
- 50 प्रतिशत या अधिकतम पांच लाख रुपये की सब्सिडी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को।
- स्टार्टअप के रूप में अपनाने पर अन्य लोगों को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी।
- मान्यता प्राप्त कृषि ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट या कृषि विज्ञान केंद्र को सौ प्रतिशत तक सब्सिडी।
- फामर्स प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन (एफपीओ) को 75 प्रतिशत सब्सिडी।
प्रतिबंध भी रहेंगे
- ऐसी जगह जहां हाईटेंशन लाइन या मोबाइल टावर हो, वहां अनुमति जरूरी।
- ग्रीन जोन के क्षेत्र में दवाई छिड़काव नहीं कर सकेंगे।
- रहवासी क्षेत्र के आसपास खेत होने पर भी अनुमति जरूरी।
- खराब मौसम या तेज हवा में नहीं उड़ा सकेंगे।
इनका कहना है
किसान ड्रोन तकनीक का दिल्ली में प्रशिक्षण लिया है।
केंद्र सरकार अगले पांच-छह माह में इसे प्रदेश के हर कृषि विज्ञान केंद्र में निश्शुल्क उपलब्ध कराएगी।
इसका यहां सभी को प्रशिक्षण देकर लाभ बताए जाएंगे। सब्सिडी भी अधिक है। ऐसे में इसे रोजगार के रूप में भी अपनाया जा सकेगा।
-डा. योगेंद्र शुक्ला, वरिष्ठ कृषि विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र खंडवा
source : naidunia
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