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सिर्फ गन्ना ही नहीं, उसके अवशेषों से भी किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई

 

किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई

 

गन्ने की प्रथम कटाई के बाद इससे प्राप्त होने वाली सूखी पत्तियों व कूड़े-करकट को किसान प्रायः ईंधन के रूप में अथवा सर्दियों में आग सेंकने के लिए उपयोग करते हैं.

किसान इसका इस्तेमाल खेत में पलवार (मल्च) के रूप में करें तो अधिक लाभ कमा सकते हैं.

 

गन्ना अपने कुल भार का 40 प्रतिशत अवशेषी कूड़ा-करकट उत्पन्न करता है. इसमें मुख्यतः इसकी सूखी पत्तियां निकालना व कटाई उपरांत इसके शीर्ष व ठूंठ इत्यादि आते हैं.

इसमें से शीर्ष या अगोलों का किसान मुख्यतः पशु चारे के लिए उपयोग कर लेते हैं, परंतु बचे हुए अवशेष को खेत में ही जला देते हैं.

गन्ना उत्पादन में प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में 100 टन मृदा से लगभग 200-250 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 120 कि.ग्रा. पफाॅस्पेफट व 175 से 225 कि.ग्रा. पोटाश आदि पोषक तत्वों की हानि होती है.

ऐसे में मृदा की उर्वर क्षमता को संतुलित बनाए रखने के लिए उसमें समय पर उचित मात्रा में कार्बनिक एवं अकार्बनिक खादों की प्रतिपूर्ति करना अति आवश्यक है.

यह प्रायः एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन द्वारा ही संभव है. अवशेषी कूड़े-करकट व सूखी पत्तियों को खेत में जलाने से पर्यावरण हानि के साथ-साथ 70-95 प्रतिशत तक शुष्क पदार्थ और नाइट्रोजन की भी हानि होती है.

 

पलवार/पलवार (मल्च) के रूप में

गन्ने की प्रथम कटाई के बाद इससे प्राप्त होने वाली सूखी पत्तियों व कूड़े-करकट को किसान प्रायः ईंधन के रूप में अथवा सर्दियों में आग सेंकने के लिए उपयोग करते हैं.

किसान इसका इस्तेमाल खेत में पलवार (मल्च) के रूप में करें तो अधिक लाभ कमा सकते हैं.

इसके लिए सबसे पहले सूखी पत्तियों की लगभग 8-10 सें.मी. मोटी परत गन्ने की पत्तियों के बीच में बिछाएं व इसके बाद खेत की सिंचाई कर दें.

 

पत्तियों को बिछाते समय ध्यान रखें कि जमते हुए गन्ने के अंकुर पत्तियों के नीचे न ढक पाएं तथा खाली स्थान न छूटने पाए.

इसमें कीट व दीमक न पनपें, इसलिए इस पर 5 लीटर क्लोरपायरीपफास 20 ई.सी. का घोल लगभग 1500-2000 लीटर पानी में तैयार करके छिड़काव करें.

इसके बाद समय पर आवश्यकतानुसार फसल में खाद, कीटनाशी का प्रयोग व समयानुसार सिंचाई करें.

 

कार्बनः नाइट्रोजन के अनुपात को कम करने के लिए 30 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ का छिड़काव करें, जिससे कचरे/ ट्रैश/;अवशेषी कूड़े-करकट का तेजी से अपघटन हो सके.

  • जीवाणुओं की गतिविधि बढ़ाने व उन्हें सीधे प्रकाश से बचाने के लिए इस पर मृदा की हल्की परत चढ़ा दें. अब ट्रैश कटर/हैरो की सहायता से अवरोधी कूड़े-करकट को काट दें अथवा जुताई करें.

लाभ

इस तरह की प्रबंधन तकनीक से निम्न लाभ होते हैं-

  • जमीन की उर्वरा क्षमता संतुलित रहती है. नाइट्रोजन, फास्पफोरस व पोटाश, एनपीके के स्तर में बढ़ोतरी होती है साथ ही इसके ट्रैश प्रबंधन से लगभग 4-10 प्रतिशत तक गन्ना उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है व किसान की उर्वरक लागत को कम किया जा सकता है.
  • गन्ने की सूखी पत्तियां/अथवा पलवार बिछाने से मृदा में नमी बनी रहती है, जिससे काफी हद तक जल की बचत की जा सकती है.
  • पेड़ी गन्ने का अंकुरण तेजी से होता है.
  • खरपतवारों का नियंत्रण कर खरपतवारनाशी के प्रयोग में आने वाली लागत को कम किया जा सकता है.
  • मृदा की उर्वराशक्ति को भी बढ़ाया जा सकता है.

 

अन्य उपयोग

  • गन्ने की पत्तियों का सर्दियों के मौसम में पशुओं के नीचे बिछावन के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
  • गन्ने की सूखी पत्तियों को गड्ढे में डालकर और गलाकर अच्छी मात्रा में जीवांश खाद बनायी जा सकती है.
  • गन्ने की कटाई उपरांत अवशेषी ठूंठों को सुखाकर ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता.

 

जैव-ईंधन के उत्पादन में उपयोग

गन्ने की पत्तियां लिग्नोसेल्यूलोस का अच्छा स्रोत हैं. इन्हें जैव-ईंधन जैसे, बायो-इथेनाॅल बायोगैस के उत्पादन के लिए बायोमास के रूप में उपयोग किया जा सकता है.

अतः किसान फसल की कटाई उपरांत उससे प्राप्त सूखी-पत्तियों एवं गन्ने के ऊपरी भाग को किसी स्थानीय बायो-इथेनाल उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री को दे सकते हैं, जोकि उनकी आमदनी का एक अलग स्रोत हो सकता है.

 

गन्ने की पत्तियों से बायो-इथेनॉल के रूपांतरण की प्रक्रिया में तीन मुख्य क्रियाएं शामिल है-

बायोमास का प्री-ट्रीटमेंटः प्री-ट्रीटमेंट विभिन्न भौतिक, रासायनिक एवं जैविक माध्यमों से किया जाता है.

इसका मुख्य उद्देश्य बायोमास/जैवभार से लिग्निन को हटाना एवं सैल्यूलोस की सतह क्षेत्रा में वृद्धि करना है.

 

सैकेरीपिफकेशनः यह प्रक्रिया विभिन्न कवकों या जीवाणुओं के द्वारा उत्पादित एंजाइम से करते हैं.

इस क्रिया में सैल्यूलोज के किण्वन के योग्य शर्करा जैसे ग्लूकोज बनाते हैं.

 

किण्वनः खमीर सैकेरोमाइसिस सेरेविसी व जीवाणु जाइमोमोनास मेबिलिस इथेनाॅल उत्पादन के लिए किण्वन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

 

कटाई बाद गन्ना अवशेष प्रबंधन

  • कटाई बाद गन्ने के अवशेषी कूड़े-करकट को एकत्र करके एकांतर क्यारियों में व्यवस्थित करें.
  • गन्ने के अवशेष टुकड़े अथवा जड़ों को मृदा के एक दम समीप से काट दें.
  • 250 मि.ली. कार्बेन्डाजिम व 250 मि.ली. क्लोरपायरीपफाॅस का 100 लीटर पानी में घोल तैयार करें व उसका अवशेषी कूड़े-करकट पर छिड़काव करें.
  • खेत की सिंचाई कर दें, ताकि अवशेषी कूड़ा-करकट पर्याप्त नमी अवशोषित कर सके.
  • 200 लीटर पानी लेकर उसमें 200 कि.ग्रा. गाय के गोबर का घोल तैयार करें. उसमें 10 कि.ग्रा. विघटनकारी कल्चर जोकि बाजार में विभिन्न नामों से उपलब्ध है, मिलाएं, जिससे मिश्रण जल्दी विघटित हो सके.
  • तैयार मिश्रण के विघटन के पश्चात इसका अवशेषी कूड़े-करकट पर छिड़काव कर दें.

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