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फसल कटाई के बाद होने वाला नुकसान किसानों की आय दोगुनी करने में सबसे बड़ी बाधा

 

किसानों की आय दोगुनी करने में सबसे बड़ी बाधा

 

प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान ने आपूर्ति श्रृंखला उद्योग को प्रभावित किया है.

उनका कहना था कि यह निराशाजनक है कि अच्छा-खासा उत्पादन बर्बाद हो जा रहा है.

 

केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है.

इस दिशा में लगातार कदम उठाए जा रहे हैं और तमाम योजनाओं का लाभ किसानों को दिया जा रहा है.

लेकिन कुछ चनौतियां भी हैं, सरकार के प्रयासों में बाधा बन रही हैं.

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद का कहना है कि किसानों की आय दोगुनी करने में सबसे बड़ी बाधा फसल कटाई के बाद होने वाला नुकसान है.

 

भारत विश्व स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन में सबसे आगे रहा है और कैलोरी युक्त खाद्य उत्पादन के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है.

प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान ने आपूर्ति श्रृंखला उद्योग को प्रभावित किया है.

उनका कहना था कि यह निराशाजनक है कि अच्छा-खासा उत्पादन बर्बाद हो जा रहा है.

 

कटाई के बाद काफी ज्यादा होता है नुकसान

द हिन्दू की खबर के मुताबिक, रमेश चंद ने कहा कि टिकाऊ अनाज में अनुमानित नुकसान लगभग 10 प्रतिशत है.

वहीं दूध, मछली, मांस, अंडे, फल और सब्जियों जैसी वस्तुओं में 10 से 20 प्रतिशत तो बागवानी उत्पादन में लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा कटाई के बाद बर्बाद हो रहा है.

 

उन्होंने कहा कि देश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का कुल खाद्य बाजार का हिस्सा लगभग 32 प्रतिशत है.

फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री किसानों से सीधे अनाज और चारा का खरीद करती है.

ऐसे में इसकी मदद से फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम कर के किसानों की आय में वृद्धि एक वास्तविकता बन सकती है.

उन्होंने कहा कि फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री ने विज्ञान का बेहतरीन इस्तेमाल कर शानदार नतीजे दिए हैं.

 

पिछले महीने शुरू हुए थे 21 फूड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट्स

केंद्र सरकार लगातार फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पर फोकस कर रही है. किसानों की आय बढ़ाने में इसे एक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.

बीते महीने ही अलग-अलग राज्यों में 21 फूड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट्स की शुरुआत हुई है.

इससे हजारों किसानों को फायदा होगा और साथ ही रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे.

 

फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में निवेश और नए प्रोजेक्ट्स से कृषि उपज का मूल्य वर्धन, उनकी लंबी आयु के साथ ही किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति संभव होगी.

वहीं उत्पादों के लिए बेहतर भंडारण व्यवस्था मिलेगी और किसानों को नया वैकल्पिक बाजार उपलब्ध होगा.

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