लेकिन इस बड़ी समस्या का सामना कर रहे किसान
महाराष्ट्र के कई जिलों में भयंकर बारिश और बाढ़ ने बर्बाद कर दी थी प्याज की नर्सरी, इसलिए किसानों को पिछले साल से महंगी पड़ रही इसकी खेती.
महाराष्ट्र में किसानों ने लेट खरीफ सीजन के प्याज की रोपाई शुरू कर दी है.
इन दिनों किसान अच्छी फसल लेने के मकसद से जमकर मेहनत कर रहे हैं, ताकि इस साल बाढ़ और अतिवृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई की जा सके.
देश में सबसे ज्यादा प्याज उत्पादन देने वाले नासिक में इन दिनों किसान रोपाई करने में जुटे हुए हैं.
लेकिन उनके सामने प्याज के नर्सरी (पौध) की समस्या है.
इस साल यह काफी महंगा हो गया है. जिससे प्याज की खेती की लागत में बढ़ोत्तरी होगी.
इस साल धुले, नासिक, औरंगाबाद, अहमदनगर, सोलापुर, सतारा, बीड और जलगांव आदि में भारी बारिश और बाढ़ से प्याज की नर्सरी खराब हो गई है.
जिससे काफी किसानों को इसे खरीदकर लगाना पड़ रहा है. मांग और आपूर्ति में अंतर की वजह से इसका दाम बढ़ गया है.
तीने महीने में आ जाएगी नई फसल
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि अभी जिस प्याज की रोपाई चल रही है वो रेड ओनियन है.
इसे तैयार होने में 90 दिन का वक्त लगेगा. करीब 100 दिन बाद यह मार्केट में आ जाएगा.
लेकिन इस साल किसानों की परेशानी यह है कि इतनी महंगी नर्सरी खरीदकर वो प्याज उत्पादित करेंगे तो उनकी लागत क्या होगी, क्या उतना दाम मार्केट में मिलेगा?
कितनी महंगी खेती
दिघोले ने बताया कि बारिश की वजह से पहले जहां एक एकड़ के लिए प्याज की पौध मात्र 15 हजार रुपये में आ जाती थी वो अब 30 हजार और उससे अधिक तक पहुंच गई है.
जिस किसान के पास अपनी पौध नहीं बची है उसके प्याज की उत्पादन लागत में काफी वृद्धि हो जाएगी.
यह किसानों के लिए बड़ी समस्या है. इसकी लागत इस बार 80 हजार रुपये प्रति एकड़ तक जाएगी.
क्योंकि इस बार न सिर्फ पौध महंगी है बल्कि डीजल के दाम में वृद्धि की वजह से सिंचाई और खेती की जुताई भी महंगी है.
खेत की तैयारी और खाद
नासिक के किसान दिघोले ने बताया कि प्याज की रोपाई के लिए खेत तैयार करने में जुताई का खर्च ही 4500 रुपये प्रति एकड़ हो गया है.
इसके बाद प्रति एकड़ 10,000 रुपये का खर्च उसे लगाने का है.
उसमें करीब 10 बोरी डीएपी और गोबर की खाद लगेगी. फिर सिंचाई.
यह सब देखते हुए इस बार प्रति किलो प्याज उत्पादित करने का दाम 18 से 20 रुपये तक पहुंचेगा.
इसी हिसाब से किसानों के प्याज का दाम भी तय होना चाहिए.
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