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गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, वैज्ञानिकों ने विकसित की तीन नई प्रजाति

 

कीट और रोगों का नहीं होगा असर

 

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है.

गन्ने की तीनों नई प्रजातियां रोगों से लड़ने में सक्षम तो हैं ही, उत्पादन में मामले में भी अव्वल हैं.

 

देश के लाखों किसान गन्ना की खेती करते हैं. ब्राजील के बाद भारत गन्ना का सबसे बड़ा उत्पादक देश है.

वैसे तो इसे नकदी फसल कहा जाता है लेकिन हर साल बाढ़, रोग और कीटों की वजह फसलें बबार्द होती हैं और किसानों को भारी नुकसार उठाना पड़ता है.

इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने गन्ने की तीन ऐसे किस्म ईजाद की है जिन पर रोग और कीटों का असर नहीं पड़ता और उत्पादन भी खूब होता है.

 

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है.

गन्ने की तीनों नई प्रजातियां रोगों से लड़ने में सक्षम तो हैं ही, उत्पादन में मामले में भी अव्वल हैं.

 

ये हैं तीन नई प्रजातियां

पंतनगर विवि के शोधकर्ताओं ने बताया कि हमने गन्ना की अगेती गन्ना (पंत 12221), सामान्य गन्ना (पंत 12226) और पंत 13224 किस्में विकसित की हैं.

विवि के गन्ना प्रजनक डॉ. आनंद सिंह जीना और डॉ. सुरेंद्र पाल ने ये प्रजातियां विकसित की हैं.

सस्य विशेषज्ञ डॉ. धीर सिंह, पादप रोग विषेशज्ञ डॉ. आरके साहू व डॉ. गीता शर्मा का भी अहम योगदान रहा है.

इन प्रजातियों के अनुमोदित होने पर पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तेज प्रताप, आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभागाध्यक्ष डॉ. सलिल तिवारी ने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी है.

 

कुछ दिनों पहले ही केंद्र व हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (HAU) के वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म 15023 विकसित की थी.

नई किस्म के गन्ने की रिकवरी रेट 14 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद जताई जा रही है जो दूसरी प्रजातियों से काफी अधिक है.

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