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सिंचाई के लिए पानी कम होने के चलते कम सिंचाई वाली फसलें लगाएं किसान

 

सरकार की अपील

 

कम पानी वाली फसलें बोने की अपील

 

इस वर्ष मानसून सीजन में कई क्षेत्रों में अधिक तो कहीं कम बारिश हुई है|

राजस्थान राज्य में इस बार कई जलाशय एवं डेम में कम पानी होने से किसानों की समस्या बढ़ गई है|

किसानों को जलाशय से रबी फसल की सिंचाई के लिए पानी तभी दिया जाता है जब पीने के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है|

राज्य में पानी की समस्या को देखते हुए सरकार ने किसानों से कम पानी वाली फसलें लगाने की अपील की है|

 

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने बताया कि जल संसाधन विभाग के अनुसार इस साल पौंग, रणजीत सागर एवं भाखड़ा नांगल डेम में गत वर्षों की तुलना में पानी की कम उपलब्धता है|

इसे देखते हुए पेयजल के लिए पानी आरक्षित करने के बाद सिंचाई के लिए सीमित पानी की उपलब्धता रहेगी|

21 सितम्बर को इंदिरागांधी नहर परियोजना की जल परामर्शदात्री समिति की बैठक में 23 सितम्बर 2021 से 3 जनवरी 2021 तक तय किये गये सिंचाई विनियमन कार्यक्रम अनुसार केवल 3 बारीज में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा|

 

पानी की उपलब्धता का पूरा आंकलन कर दिया जायेगा पानी

जलदाय मंत्री तथा श्रीगंगानगर जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. बी. डी कल्ला ने कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण के किसानों के हितों को लेकर राज्य सरकार पूरी तरह संवेदनशील है।

उन्होंने कहा कि किसानों को पानी देने के लिए उपलब्ध मात्रा का पूरा आंकलन कर बंटवारा किया जाएगा।

 

गेहूं तथा जौ की जगह चना तथा सरसों की करें खेती

कृषि मंत्री ने बीकानेर एवं श्रीगंगानगर कृषि खण्ड के संयुक्त निदेशक को क्षेत्र के किसानों के लिए सिंचाई के लिए नहरी पानी की सीमित उपलब्धता से अधिकतम फसल उत्पादन लेने के लिए सम्बद्ध विभागों से समन्वय स्थापित कर गेहूं एवं जौ जैसी अधिक पानी की आवश्यकता वाली फसलों के बजाय कम पानी की जरूरत वाली सरसों एवं चना जैसी फसलों को प्राथमिकता देते हुए संभाव्य कृषि कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए है|

 

ऋणी किसान अलग फसल बोने की सुचना सम्बन्धित बैंक को अवश्य दें 

कृषि मंत्री ने किसानों से कहा है कि बैंक से जिस फसल के लिए ऋण लिया है, उससे अलग फसल बोने पर 15 दिसम्बर तक उसकी लिखित में सूचना सम्बन्धित बैंक को आवश्य दें|

इससे बीमा उसी फसल का होगा जो वास्तव में बोई गई है, जिससे बीमा क्लेम मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी|

उन्होंने कहा कि बीमित फसल और वास्तविक बोई गई फसल में फर्क होने पर बीमा क्लेम नहीं मिल पाएगा|

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