बांस की खेती पर अनुदान
देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बांस की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
किसानों को बांस रोपण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इन योजनाओं के तहत अनुदान दिया जाता है।
इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार बाँस रोपण के लिए किसानों को प्रेरित करने एवं स्व-सहायता समूह के लिए अनुदान की योजना लाई है, जिससे अधिक से अधिक किसान कम लागत में इससे जुड़ सके और अपनी आय बढ़ा सकें।
बाँस रोपण राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है।
एक बार बाँस के पौधे लगाने के बाद हर साल लगने वाली, खाद, सिंचाई, जुताई एवं पानी के खर्च से किसान को राहत मिलती है।
रोपण से 5 वर्ष तक किसान अपनी सामान्य खेती इन्टर क्रॉपिंग विधि से कर सकता है और किसान को बाँस कटाई तक उपज का कोई नुकसान नहीं होता है।
बांस से फर्नीचर, सजावटी सामान, निर्माण कार्य, कृषि क्षेत्र, पेपर उद्योग आदि में बाँस की लगातार माँग बढ़ने से किसानों को अधिक आमदनी होगी।
किसानों को कितना अनुदान दिया जाता है
मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन द्वारा बाँस के एक पौधे की खरीदी से लेकर बाँस लगाई एवं उसके बड़े होने तक सुरक्षा सहित 240 रूपये की लागत का अनुमान लगाया गया है।
किसान द्वारा अपनी निजी भूमि पर बाँस रोपण करने पर कुल लागत का 50 प्रतिशत यानि 120 रूपये प्रति पौधा किसानों को अनुदान (सब्सिडी) के रूप में दिया जाएगा।
देवास जिले में विकासखण्ड देवास, सोनकच्छ, टोंकखुर्द, बागली, कन्नौद और खातेगाँव के 448 किसानों ने 541 हेक्टेयर भूमि पर 2 लाख 16 हजार 281 बाँस का रोपण किया है।
कितना अनुदान दिया जाता है
मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र में स्व-सहायता समूह की मदद से मनरेगा योजना में बाँस रोपण कराया गया है।
योजना में 19 स्थानों पर 325 हेक्टेयर भूमि पर 2 लाख 3 हजार 125 बाँस रोपे गये हैं।
पौध-रोपण एवं उसकी सुरक्षा पर होने वाला पूरा व्यय मनरेगा योजना में वहन किया जाएगा।
पाँच साल बाद बाँस के कटाई से होने वाली आय को उस क्षेत्र की ग्राम वन समिति एवं सम्बंधित स्व-सहायता समूह के मध्य 20:80 के अनुपात में साझा किया जायेगा।
साथ ही बाँस को बेचने लिए स्व-सहायता समूह एवं देवास स्थित बाँस फैक्ट्री आर्टिसन एग्रोटेक लिमिटेड के मध्य अनुबंध हुआ है।
देवास ज़िले में जिले में वन मंडल क्षेत्र के सभी परिक्षेत्रों में केम्पा योजना में भी 22 स्थान पर 595 हेक्टेयर भूमि पर 2 लाख 38 हजार बाँस रोपे गये हैं।
देवास में आर्टिसन एग्रोटेक बाँस फैक्ट्री से किसानों एवं स्व-सहायता समूह के एम.ओ.यू. द्वारा खरीदने एवं बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध है।
वर्ष 2023-24 में सम्पूर्ण जिले में विभिन्न योजनाओ में शासन से अधिक से अधिक बाँस रोपण का लक्ष्य प्राप्त कर उसकी तैयारी प्रांरभ कर दी गई है।
बांस की खेती से लाभ
बाँस में प्रकाशीय श्वसन तेजी से होता है। निकली हुई कार्बन डाई-ऑक्साइड का पुनः उपयोग कर लिया जाता है।
बाँस में 5 गुना अधिक कार्बन डाई-ऑक्साइड के अवशोषण की क्षमता होती है, वही बाँस का एक हेक्टेयर जंगल एक वर्ष में एक हजार टन का अवशोषण कर लेता है।
इससे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कम होता है। बाँस की जड़े कटाई के बाद भी कई दशक तक मिट्टी को बांधे रखती है और मिट्टी के कटाव को रोकती है।
बाँस से अन्य पेड़ों की तुलना में दस गुना अधिक उत्पाद बनाये जा सकते हैं, जिससे अन्य पेड़ों पर निर्भरता कम होती है।
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